'बंदूक की नोक पर कोई सौदा नहीं', पीयूष गोयल ने टैरिफ दबाव के बावजूद अमेरिका के आगे न झुकने का संकेत दिया

क्या अमेरिका टैरिफ लगाकर भारत को द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए मनाना चाह रहा है? वाणिज्य मंत्री ने साफ किया भारत किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेगा।

By कौशिक भट्टाचार्य, Posted by: श्वेता सिंह

Oct 24, 2025 21:35 IST

द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर द्विपक्षीय विवाद चरम पर पहुंच गया है। भारत और अमेरिका के प्रतिनिधि कई बार बातचीत के लिए बैठ चुके हैं लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया है। ऐसे में केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, "सिर पर बंदूक तानकर हम कोई समझौता नहीं कर सकते।" इतना ही नहीं उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अमेरिका टैरिफ का दबाव बनाकर व्यापार समझौता करने की कोशिश कर रहा है।

पीयूष गोयल जर्मनी की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। उन्होंने शुक्रवार को 'बर्लिन ग्लोबल डायलॉग' सम्मेलन में भाग लेकर भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर खुलकर बात की। पीयूष ने कहा कि अमेरिका के साथ बातचीत चल रही है। पिछले कुछ महीनों से चल रही है। दरअसल हम जल्दबाजी नहीं करना चाहते। हम किसी समय सीमा या दबाव के आगे नहीं झुकेंगे। व्यापार वार्ता आमतौर पर टैरिफ के संदर्भ में होती है। पीयूष गोयल ने साफ कहा कि भारत लंबी अवधि के लिए सोचता है। हमारा काम यह दिखाना है कि देश के लोगों को फायदा हो। जितना समय लगे, लगने दीजिए।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत से काफी नाराज हैं। उन्होंने दो चरणों में भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। उन्होंने साफ़ कहा है कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद करे। उनका दावा है कि रूस इसी तेल बिक्री से मिले पैसे से यूक्रेन के साथ युद्ध लड़ रहा है। यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने भी भारत की तेल खरीदने की नीति का विरोध किया है।

हालांकि विदेश मंत्री एस जयशंकर से लेकर केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारियों का मानना ​​है कि यह भारी-भरकम टैरिफ रूस से तेल खरीदने की वजह से नहीं बल्कि व्यापार वार्ता के अंतिम रूप न मिलने की वजह से लगाया गया है। हालांकि बुधवार को ट्रंप ने दावा किया था कि भारत रूस से तेल खरीद कम करेगा। उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बात की थी। हालांकि नई दिल्ली ने अभी तक इस पर मुंह नहीं खोला है।

नई दिल्ली भारत के कृषि और डेयरी क्षेत्रों को अमेरिका के लिए खोलने में अनिच्छुक है और यहीं पर व्यापार वार्ता अटक गई। भारत सरकार का कहना है कि ये दोनों क्षेत्र देश के एक बड़े वर्ग की आजीविका का स्रोत हैं। अगर अमेरिका वहां प्रवेश करता है तो उन्हें नुकसान होगा।

हालांकि सितंबर में महत्वपूर्ण प्रगति हुई। एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी सरकार के प्रतिनिधियों और प्रमुख निवेशकों से मुलाकात की। इसका नेतृत्व पीयूष गोयल ने किया। उन्होंने कहा कि समझौते के विभिन्न पहलुओं पर अमेरिकी सरकार के साथ रचनात्मक चर्चा हुई। वे समझौते की संभावित रूपरेखा पर भी सहमत हुए। यह भी कहा जा रहा है कि अमेरिका की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। केंद्र सरकार ने यह भी दावा किया कि अमेरिकी व्यापारिक नेताओं ने भारत की आर्थिक वृद्धि में विश्वास व्यक्त किया है। वे भारत में व्यावसायिक गतिविधियों को और बढ़ाना चाहते हैं।

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