चुनाव आयोग ने सोमवार को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दूसरे चरण की घोषणा की। यह एसआईआर बंगाल समेत 12 राज्यों में एक साथ किया जाएगा। इनमें से ज्यादातर राज्यों में अगले दो सालों के भीतर चुनाव होने हैं। बंगाल के साथ-साथ तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और असम में भी अप्रैल 2026 तक चुनाव होने हैं। बाकी तीन राज्यों में एसआईआर चल रहा है जबकि असम में इस चरण में एसआईआर नहीं किया जा रहा है।
असम चुनाव के बाद एसआईआर
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा है कि असम में मतदाता सूची की एसआईआर 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले नहीं की जाएगी। असम में एसआईआर की सही तारीख बाद में अलग से घोषित की जाएगी।
भाजपा शासित असम को एसआईआर कार्यक्रम से चुनिंदा रूप से बाहर क्यों रखा गया? बिहार में एसआईआर के दौरान चुनाव आयोग को विपक्ष की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था। असम को एसआईआर से बाहर रखने से चुनावी मौसम में फिर से राजनीतिक तनाव पैदा होने की संभावना है।
ज्ञानेश कुमार ने क्या स्पष्टीकरण दिया?
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इस संबंध में कहा, "भारतीय नागरिकता अधिनियम के तहत असम के लिए एक अलग प्रावधान है। सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में, वहां नागरिकता सत्यापन प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। 24वां एसआईआर आदेश पूरे देश के लिए एसआईआर माना जाता है। हालांकि इस स्थिति में यह असम पर लागू नहीं होता। इसलिए असम के लिए एक अलग एसआईआर आदेश जारी किया जाएगा।"
हालांकि ज्ञानेश कुमार का यह स्पष्टीकरण विपक्ष को कितना संतुष्ट करेगा इस पर गहरी शंकाएं हैं। राजनीतिक विश्लेषक और सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने पहले ही सोशल मीडिया पर लिखा है, "असम एकमात्र ऐसा चुनावी राज्य है जहां SIR नहीं होगा। लेकिन क्यों?"
असम में एनआरसी का कितना काम बाकी है?
गौरतलब है कि अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को अद्यतन करने की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि 31 अगस्त 2019 को पूरक सूची के प्रकाशन के बाद से यह काम ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाया है।
असम में एनआरसी सूची से 19 लाख से ज्यादा नाम बाहर कर दिए गए हैं। भाजपा समेत कई राजनीतिक और सांस्कृतिक समूहों का दावा है कि असम में एनआरसी तैयार करने में खामियां हैं। उनका कहना है कि आदिवासियों को बाहर रखा गया है और बड़ी संख्या में विदेशी नागरिकों को शामिल किया गया है। इस साल अगस्त में एनआरसी के मसौदे और पूरक सूची में संशोधन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। उस याचिका को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, असम राज्य सरकार और भारत के महापंजीयक को नोटिस जारी किए थे।