आखिर क्यों बनाया बच्चों को बंधक? : रोहित आर्या की कहानी और मुंबई का बचाव अभियान

रोहित ने सोशल मीडिया पर वेब सीरीज़ के लिए बाल कलाकारों के ऑडिशन का विज्ञापन डाला। उस विज्ञापन के आधार पर कई अभिभावक अपने बच्चों को स्टूडियो में लेकर आए। फिर यह सब हुआ...

By डॉ.अभिज्ञात

Oct 31, 2025 09:22 IST

मुंबईः 30 अक्टूबर गुरुवार की दोपहर मुंबई के पवई इलाके में आरए स्टूडियो नामक एक एक्टिंग स्टूडियो में दिल दहला देने वाली नाटकीय घटना घटी। यह जगह महावीर क्लासिक बिल्डिंग में है, जहाँ एक व्यक्ति ने 17 बच्चों और 2 वयस्कों को बंधक बना लिया था।

कौन था अभियुक्त?: अभियुक्त रोहित आर्या पुणे का रहने वाला था और पहले सरकारी ठेकेदार के तौर पर काम करता था। उसका कहना था कि सरकार ने उसका लगभग दो करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया, जिससे वह परेशान है। वह पहले भी अपने बकाया पैसे को लेकर कई बार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर चुका था।

कैसे बनाया बच्चों को बंधक?: रोहित ने सोशल मीडिया पर वेब सीरीज़ के लिए बाल कलाकारों के ऑडिशन का विज्ञापन डाला। उस विज्ञापन के आधार पर कई अभिभावक अपने बच्चों को स्टूडियो में लेकर आए। पहले के कुछ दिनों में ऑडिशन सामान्य रूप से चलते रहे, ताकि लोगों को शक न हो।गुरुवार को जब करीब 25 बच्चे पहुंचे,तो रोहित ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया। 83 बच्चों को उसने पहले जाने दिया था, लेकिन 17 बच्चों को अंदर रोक लिया।

बच्चों के अलावा दो बंधक कौन?: एक एक बुज़ुर्ग व्यक्ति थे। दूसरा एक सहायक था, जो स्टूडियो में मौजूद था। यह दोनों बंधक बनाए गए लोगों में शामिल थे।

अभिभावकों को कब शक हुआ?: जब दोपहर के समय बच्चों को लंच ब्रेक पर बाहर नहीं आने दिया गया, तो माता-पिता को शक हुआ। कुछ बच्चों को खिड़की से बाहर झाँकते और मदद माँगते देखा गया। लोगों ने तुरंत 1:45 बजे पुलिस को फोन किया।

पुलिस की कार्रवाईः मुंबई पुलिस की कई टीमें स्थानीय थाना, क्विक रिस्पॉन्स टीम, ATS और कमांडो तुरंत वहाँ पहुँचे। पुलिस ने पहले नेगोशिएशन शुरू की ताकि अभियुक्त बच्चों को छोड़ दे। लगभग डेढ़ घंटे तक बातचीत चली, लेकिन रोहित बार-बार धमकी देता रहा- 'अगर किसी ने दरवाज़ा तोड़ने की कोशिश की, तो मैं आग लगा दूँगा।’ रोहित ने अपनी मांगें रखीं, लेकिन दरवाज़ा खोलने से इनकार किया।

स्टूडियो के अंदर का हाल: रोहित के पास एक एयरगन (नकली बंदूक जैसी) और कुछ रासायनिक पदार्थ थे। उसने बच्चों को मानव ढाल की तरह इस्तेमाल किया और खुद को 'आतंकवादी नहीं, एक परेशान नागरिक' बताया।

अभियुक्त का वीडियोः रोहित ने एक वीडियो भी रिकॉर्ड किया जिसमें कहा –'मैं आत्महत्या नहीं करना चाहता। मुझे कुछ सवाल पूछने हैं। मैं कोई आतंकवादी नहीं हूँ। अगर मुझे उकसाया गया तो मैं इस जगह को आग लगा दूँगा।’ इससे साफ़ था कि वह अपनी सरकारी शिकायत के लिए ध्यान आकर्षित करना चाहता था।

पुलिस का ‘बाथरूम ऑपरेशन’: जब बातचीत बेकार साबित हुई तो पुलिस ने स्टूडियो के बाथरूम की खिड़की से अंदर घुसने की योजना बनाई। यह बेहद जोखिम भरा कदम था क्योंकि अंदर बच्चे थे। पुलिस ने धीरे-धीरे अंदर जाकर रोहित को काबू में करने की कोशिश की। इस दौरान फायरिंग हुई, जिसमें पुलिस की गोली से रोहित आर्या घायल हो गया। उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहाँ उसकी मौत हो गई।

बच्चों को कैसे बचाया गया?: ऑपरेशन पूरा होने के बाद सभी 17 बच्चे और दो वयस्क सुरक्षित बाहर निकाले गए। बच्चों को तुरंत मेडिकल चेकअप के लिए ले जाया गया और उनके परिवारों को सौंप दिया गया। पुलिस ने बच्चों के मानसिक आघात को देखते हुए काउंसलिंग का इंतज़ाम भी किया।

मौके से क्या मिला?: पुलिस को स्टूडियो से एक एयरगन, कुछ रासायनिक पदार्थ, अभियुक्त के मोबाइल और लैपटॉप, जिनसे ऑडिशन के विज्ञापन डाले गए थे।

राजनीतिक विवादः घटना के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रोहित आर्या पुणे का रहने वाला था। उसे महाराष्ट्र के पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर के कार्यकाल के दौरान शिक्षा विभाग के एक स्कूल का टेंडर मिला था। रोहित का दावा था कि उसे इस प्रोजेक्ट का भुगतान नहीं किया गया, जबकि केसरकर ने कहा कि रोहित को भुगतान कर दिया गया था। सरकारी भुगतान के लिए सभी प्रक्रिया पूरी करनी होती है। उसका दावा कि दो करोड़ बकाया थे, गलत है। वहीं घटना के लिए कांग्रेस नेताओं ने सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि अगर सरकार ने उसका भुगतान समय पर किया होता, तो यह हादसा न होता।

संभावित कारणः जांच में माना जा रहा है कि रोहित मानसिक तनाव में था। वह सरकार से निराश था और चाहता था कि उसकी बात सुनी जाए। लेकिन उसने यह सब एक गलत और खतरनाक तरीका अपनाकर किया, जिससे कई जानें खतरे में पड़ीं।

पुलिस का कदम सराहनीयः मुंबई पुलिस ने इस पूरे संकट को बहुत तेजी और समझदारी से संभाला। अगर थोड़ी सी भी देरी होती, तो यह घटना बहुत बड़ी त्रासदी बन सकती थी। हालांकि सभी बच्चे सुरक्षित हैं।

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