नयी दिल्लीः वंदे भारत एक्सप्रेस गुजरात के साबरमती से हरियाणा के गुरुग्राम 895 किलोमीटर लंबा रास्ता मात्र 14 घंटे 55 मिनट में पार करने का अभ्यास कर रही थी। लेकिन पहले अभ्यास में ही देश की यह सबसे चर्चित ट्रेन का परीक्षण बुरी तरह विफल साबित हुआ। जो रास्ता पार करने में 15 घंटे लगने थे, उस रास्ते को पार करने में प्रीमियम इस ट्रेन को 20 घंटे से भी ज्यादा समय लग गया। सिर्फ इतना ही नहीं, साबरमती से गुरुग्राम जाने के रास्ते में अचानक काफी देर तक ट्रेन की कोई खोज नहीं मिली।
भारतीय रेल ने ट्रेन संख्या नंबर 09401। को पांच और छह अक्टूबर, लगातार दो दिन साबरमती से गुरुग्राम तक के हिस्से में चलाकर अभ्यास करने की योजना बनाई थी। पूर्ण गति से नहीं बल्कि उससे काफी धीमी गति से अर्थात् एक घंटे में 60 किलोमीटर की रफ्तार से। सोचा गया था कि 15 घंटे तक यात्रा करके लगभग 900 किमी पार करेगी यह ट्रेन। लेकिन प्रीमियम ट्रेन के रास्ते में ओवरहेड तार की ऊंचाई बाधा बनकर खड़ा हो गयी।
भारतीय रेल सूत्रों से खबर मिली है कि इस ट्रेन को यात्रा पथ में मेहसाना, पालनपुर, आबू रोड, मारवाड़, अजमेर, जयपुर, अलवर और रेवाड़ी स्टेशन पर रुकने की योजना बनाई गई थी। इस रूट का काफी हिस्सा वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के अंतर्गत है। इस हिस्से से नियमित रूप से 'डबल स्टैक' कंटेनर ट्रेन आवाजाही करती है।
इस तरह के मालवाहक वैगन की ऊंचाई सामान्य मालवाहक वैगन या ट्रेन से काफी ज्यादा होती हैडबल स्टैक कंटेनर आवाजाही कर सके इसके लिए अहमदाबाद डिवीजन के काफी इलाके में ओवरहेड लाइन की ऊंचाई पांच मीटर से बढ़ाकर 7.3 मीटर की गई थी।
लेकिन वंदे भारत एक्सप्रेस का पैंटोग्राफ इतनी ऊंची ओवरहेड से बिजली खींचने के उपयुक्त नहीं है। फलस्वरूप इस रूट पर उस ट्रेन को चलाना असंभव हो गया। अभ्यास शुरू होने के बाद रेल के अधिकारियों को यह बात समझ में आई, लेकिन तब कुछ भी करने को नहीं था।
अंत में कोई और उपाय न देखकर पहले दिन की ट्रेन को मेहसाना के बजाय अहमदाबाद–उदयपुर रूट पर चलाया गया। दूसरे दिन की ट्रेन छायापुरी और वडोदरा जंक्शन होकर चली। फलस्वरूप घोषित रूट से बिल्कुल ओझल (वैनिश) हो गई ट्रेन। रेल अधिकारियों ने रूट के चयन के मामले में ओवरहेड तार की ऊंचाई का ध्यान नहीं रखा। जानकारी मिली है इसके लिए उचित व्यवस्था की जाएगी।