नयी दिल्लीः इसरो का 'चंद्रयान 3' अभियान सफल रहा है। 2021 में इसरो के पूर्व प्रमुख के सिवान ने बताया था कि 'मिशन मून' के बाद ही उनका फोकस 'मंगलयान-2' पर होगा। अब इस बारे में बड़ा अपडेट मिला है। संस्था के चेयरमैन डॉ. वी नारायणन ने बुधवार को बताया है कि 2030 में यह 'मंगलयान-2' मिशन शुरू हो सकता है। भारत 2013 के पहले मंगल अभियान का सपना सफल करने की राह पर चला था।
इसरो उसी साल 5 नवंबर को पहली कोशिश में ही मंगल ग्रह की कक्षा में भारत का अंतरिक्ष यान स्थापित करने में कामयाब रहा था। 2022 में 'मार्स ऑर्बिटर मिशन' या 'मॉम' का प्रोपेलेंट यानी ईंधन खत्म हो जाने के कारण उस अंतरिक्ष यान को और जगाए रखना संभव नहीं हो सका। लेकिन उसके सक्रिय रहने के दौरान सात साल से अधिक समय तक मंगल के बारे में कई जानकारियां भारत के हाथ आईं।
भारत 'मंगलयान-2' अभियान को अतीत से एक कदम और आगे रखने में रुचि रखता है। 'मंगलयान-1' केवल ऑर्बिट या कक्षा केंद्रित एक अंतरिक्ष अभियान था। लेकिन 'मंगलयान-2' में लैंडर भी होगा। साथ ही एक छोटे रोवर के होने की संभावना भी है। ऐसा जाना जा रहा है कि ग्रह की सतह पर इस अंतरिक्ष यान को उतारना इसरो का मुख्य लक्ष्य है।
इस मिशन के लिए डिजाइन का काम इसरो के 'स्पेस एप्लिकेशन सेंटर' और विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में शुरू हो गया है। यदि 'मंगलयान-2' सफल होता है तो भारत का नाम अमेरिका, चीन और सोवियत संघ के साथ एक ही सूची में दर्ज कराएगा।