नयी दिल्लीः सरकारी अधिकारी बनकर एक एक व्यक्ति ने साइबर धोखाधड़ी का जाल तैयार किया गया था। उसके जाल में एक बुजुर्ग फंस गया। वह 40 दिन तक धोखाधड़ी के जाल में फंसा रहा और 72 साल के उस बुजुर्ग ने कुल 52 करोड़ रुपए गंवा दिए। वह दवा निर्माता कंपनी के कर्मचारी थे।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, उस बुजुर्ग के पास पहले व्हाट्सएप पर कॉल आई थी। दूसरी तरफ मौजूद व्यक्ति ने खुद को सरकारी जांच एजेंसी का कर्मचारी बताया। उसने उस बुजुर्ग के खिलाफ आर्थिक गड़बड़ी का आरोप लगाया और कहा कि उस बुजुर्ग ने गैरकानूनी तरीके से पैसे का लेनदेन किया है। उसे धमकी दी गयी कि जांच के लिए उस बुजुर्ग की सारी संपत्ति और बैंक खाता जब्त कर लिया जाएगा।
आरोप है कि इसके बाद धोखेबाजों ने उस बुजुर्ग को निर्देश दिया कि उसे अपना सारा पैसा एक खाते में ट्रांसफर करना होगा। धोखा खाने वाले बुजुर्ग को समझाया गया कि वह खाता वास्तव में 'सरकार का खाता' है। जांच के दौरान वहां पैसा जमा रखना होगा। जांच पूरी होने के बाद वह पैसा वापस कर दिया जाएगा।
पुलिस सूत्रों के अनुसार 40 दिन तक अलग-अलग तरीकों से अलग-अलग समय पर फोन करके उस बुजुर्ग को परेशान किया गया और धोखाधड़ी के जाल में फंसाये रखा गया। आरोप है कि वीडियो कॉल में थाने और अदालत का फर्जी सेटअप दिखाकर 72 साल के उस बुजुर्ग को डराया गया था। इस तरह चरणबद्ध तरीके से 40 दिन तक 27 बार कई बैंक खातों में लेनदेन किया गया और इस तरह 52 करोड़ रुपए साफ कर दिए गए।
पुलिस ने बताया है कि धोखेबाजों ने स्थान छुपाने के लिए वीपीएन का इस्तेमाल किया था। अभियुक्तों को खोजने के लिए साइबर सेल ने जांच शुरू की है।