शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार की पर्यटन राजदूत और मिस इंडिया अर्थ 2022 वंशिका परमार ने रविवार को राज्य के पर्यटन क्षेत्र के लिए एक व्यापक और भविष्यगत प्रगति संबंधित दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। इस दृष्टि में सततता, सांस्कृतिक गरिमा, युवा सशक्तिकरण और वैश्विक सहभागिता पर विशेष जोर दिया गया।
पर्यटन राजदूत के रूप में अपनी भूमिका पर बात करते हुए वंशिका परमार ने कहा कि पर्यटन को केवल संख्या और राजस्व तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे एक ऐसे इकोसिस्टम के रूप में विकसित होना चाहिए जो पर्यावरण, आजीविका और सांस्कृतिक पहचान को सहारा दे। उन्होंने कहा कि पर्यटन केवल एक आर्थिक गतिविधि नहीं है, बल्कि यह संस्कृति, पारिस्थितिकी, गरिमा और अवसर का एक संपूर्ण तंत्र है।”
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जन्मी वंशिका परमार की जड़ें हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले की तुन्ही गांव से जुड़ी हैं। वह एक प्रतिष्ठित सशस्त्र बल परिवार से आती हैं। उनके पिता ग्रुप कैप्टन शुशील कुमार परमार वर्तमान में एयर फोर्स स्टेशन गोरखपुर में कमांडिंग ऑफिसर के रूप में कार्यरत हैं। उनके दादा-दादी भी भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं।
शैक्षणिक रूप से उत्कृष्ट वंशिका ने नई दिल्ली के एयर फोर्स गोल्डन जुबली इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की और बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा पूरी की। वह वर्तमान में मेरिट स्कॉलरशिप पर डॉक्टरेट शोध कर रही हैं और सततता, पर्यटन, युवा विकास और सांस्कृतिक पारिस्थितिकी पर कई किताबें और नीति-आधारित श्वेत पत्र लिख चुकी हैं।
18 वर्ष की उम्र में वह हिमाचल प्रदेश से पहली मिस इंडिया विजेता बनीं। उन्होंने मिस इंडिया अर्थ 2022 का खिताब जीता और वैश्विक मिस अर्थ प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जहां उन्हें जलवायु और मानवीय कार्यों के लिए ब्यूटी विद रिस्पॉन्सिबिलिटी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
पर्यटन राजदूत के रूप में वंशिका ने बताया कि उनका काम जिम्मेदार पर्यटन को मजबूत करने, हिमाचली विरासत और भाषा को बढ़ावा देने, पर्यावरण-अनुकूल यात्रा को प्रोत्साहित करने, युवा-नेतृत्व वाले पर्यटन मंच बनाने और फिल्म व डॉक्यूमेंट्री आधारित पर्यटन को विस्तार देने पर केंद्रित है। उनके अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव एशिया, अफ्रीका और हिमालयी क्षेत्र तक फैले हैं, जो पर्यावरण कूटनीति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पहलों से जुड़े हैं।
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार भविष्य की रूपरेखा बताते हुए उन्होंने युवा-नेतृत्व वाले पर्यटन रोजगार और उद्यमिता पर जोर दिया। उन्होंने स्थानीय युवाओं को प्रमाणित ईको-टूरिज्म गाइड, सांस्कृतिक कथावाचक, विरासत संरक्षक, होमस्टे उद्यमी और डिजिटल पर्यटन प्रमोटर बनाने के लिए संरचित कार्यक्रमों का प्रस्ताव रखा, ताकि पर्यटन से होने वाली आय सीधे जमीनी समुदायों तक पहुंचे।
उन्होंने वैश्विक सहयोग के माध्यम से हिमाचली संस्कृति और हथकरघा के पुनरुद्धार पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि हमारे हथकरघा, आभूषण, शॉल और हस्तशिल्प में वैश्विक संभावनाएं हैं। उद्देश्य यह है कि हिमाचली कारीगरों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ा जाए, साथ ही सांस्कृतिक पहचान की गरिमा को सुरक्षित रखा जाए। हिमाचल को एक सतत गैस्ट्रोनॉमिक गंतव्य के रूप में स्थापित किया जाए।
हालिया प्राकृतिक आपदाओं के बाद पर्यटन पर पड़े प्रभावों पर बात करते हुए उन्होंने संतुलित आपदा-पश्चात पर्यटन पुनरुद्धार रणनीति की आवश्यकता बताई। इसमें यात्रियों का विश्वास बहाल करना, सुरक्षित और लचीले गंतव्यों को बढ़ावा देना, पर्यटन-आधारित आजीविका के माध्यम से प्रभावित समुदायों का समर्थन करना और पर्यावरण-संवेदनशील, समुदाय-आधारित पर्यटन मॉडल अपनाना शामिल है। राज्य को ईको-टूरिज्म और पर्वतीय सततता के मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।
वंशिका परमार ने राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का भी समर्थन किया, हिमाचल नशा विरोधी अभियान और सुख आश्रय योजना शामिल हैं। उन्होंने इसे अनाथ बच्चों को गरिमा और अवसर लौटाने वाला करुणामय शासन मॉडल बताया।