आज, ठीक इस समय कोई आत्महत्या का रास्ता चुन रहा है या नहीं, यह जानना संभव नहीं है। इंटरनेट पर 2024 या 2025 तक भारत में कितने लोगों ने आत्महत्या की, इसका कोई उल्लेख नहीं है। फिर भी मीडिया में अक्सर आत्महत्या की घटनाएं सामने आती हैं। कोई एक दिन में आत्महत्या का रास्ता नहीं चुनता। आज विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर 'एई समय ऑनलाइन' के साथ आत्महत्या रोकथाम पर इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्री (आईपीओ) के शिक्षक-चिकित्सक और इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी के सुसाइड प्रिवेंशन सेल के को-ऑर्डिनेटर सुजीत सरखेल ने खुलकर चर्चा की।
एई समय ऑनलाइन: आत्महत्या की प्रवृत्ति के लक्षण क्या हैं?
डॉ. सरखेल: आत्महत्या के भी चेतावनी संकेत होते हैं। लेकिन समस्या में पड़ने पर हर कोई मनोवैज्ञानिक या मनोरोग विशेषज्ञ के पास जायेगा, ऐसा नहीं है। इसलिए घर के लोगों, करीबी लोगों, दोस्तों को ही आत्महत्या की प्रवृत्ति के लक्षणों को पहचानना होगा। अगर कोई अचानक बात करना कम कर दे, हमेशा उदास रहे, खुद को सबसे अलग कर ले, तो सावधान होने की जरूरत है। या फिर अपनी चीजें दूसरों को देना, संपत्ति दूसरों के नाम पर लिखना, अचानक नशे की मात्रा बढ़ा देना- ऐसी कई छोटी-छोटी बातें हैं, जो आत्महत्या की प्रवृत्ति का संकेत देती हैं।
एई समय ऑनलाइन: आत्महत्या की प्रवृत्ति के लक्षण दिखाई देने पर क्या करना चाहिए?
डॉ. सरखेल: सबसे पहले संवाद करना चाहिए। जो व्यक्ति आत्महत्या की प्रवृत्ति रखता है, उसके साथ सामने बैठकर बात करनी चाहिए। हम मान लेते हैं कि आत्महत्या की बात करने से उसके दिमाग में आत्महत्या का विचार ही घूमेगा, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता। कई मामलों में सीधे आत्महत्या के बारे में पूछा जा सकता है। अगर कोई आत्महत्या करने की सोच रहा है, तो वह व्यक्ति उस समय हक्का-बक्का हो सकता है, या फिर बात को घुमा सकता है। पहले उसके साथ बात करें, समस्या जानने की कोशिश करें, फिर यह जानने की कोशिश करें कि क्या वह खुद को नुकसान पहुंचाने के बारे में सोच रहा है।
एई समय ऑनलाइन: सामान्य उदासी और अवसाद के बीच अंतर कैसे पहचाना जा सकता है?
डॉ. सरखेल: दो तरह से समझा जा सकता है। सामान्य उदासी ज्यादा लंबे समय तक नहीं रहती। ज्यादा से ज्यादा 2-3 सप्ताह तक रहती है। एक बात ध्यान देने की होती है कि जिस विषय पर उसे जितना उदास होना चाहिए, उससे ज्यादा उदास हो रहा है। उसे मानसिक अवसाद घेर रहा है, तब सावधान होना चाहिए। यहां यह भी गौरतलब है कि उसे उदासी का कोई कारण नहीं मिल रहा है, जिन विषयों पर वह उदास हो सकता है वे सब ठीक हैं, फिर भी मन अच्छा नहीं है। तब समझना चाहिए कि यह अवसाद है।
एई समय ऑनलाइन: आजकल सोशल मीडिया, मीडिया में मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर चर्चा होती है। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स, ऐप्स के मानसिक स्वास्थ्य के लिए हेल्पलाइन नंबर हैं। फिर भी आत्महत्या रोकने में अपेक्षित सफलता क्यों नहीं मिलती?
डॉ. सरखेल: अब आत्महत्या एक जन स्वास्थ्य समस्या बन गयी है। लेकिन इस तरह के हेल्पलाइन नंबर, मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के कामों का परिणाम एक दिन में नहीं दिखेगा। आत्महत्या के पीछे कभी एक कारण जिम्मेदार नहीं होता। पर्यावरण, जलवायु, आर्थिक-सामाजिक स्थिति आदि जिम्मेदार होते हैं। इसलिए एक दिन में आत्महत्या की दर कम होना संभव नहीं है। हालांकि इस तरह के हेल्पलाइन नंबर कई बार मदद का हाथ बढ़ाते हैं। धीरे-धीरे शायद आत्महत्या की दर कम हो सकती है।
एई समय ऑनलाइन: छात्र और किसान - समाज के ये दो वर्ग आत्महत्या की प्रवृत्ति रखते हैं। कैसे टाली जा सकती है यह दुर्घटना?
डॉ. सरखेल: छात्रों में आत्महत्या की प्रवृत्ति के लक्षणों को पहचानना होगा। किस कारण से उन पर मानसिक दबाव हो रहा है, वह जानना होगा। छात्र में परीक्षा को लेकर कोई फोबिया काम कर रहा है या नहीं, कौन सी बात उसे आत्महत्या की ओर धकेल रही है, यह समझना होगा। साथ ही जो छात्र सहायता केंद्र हैं, उन्हें और सक्रिय होना होगा। छात्र नशा न करें, इस ओर ध्यान रखना होगा। मीडिया को भी इसका और प्रचार करना होगा। किसानों में आत्महत्या रोकने का मुद्दा कई चीजों पर निर्भर करता है। यह आर्थिक-सामाजिक स्थिति पर भी निर्भर है। लेकिन जब कोई किसान किसी कारण से नुकसान में होगा या मानसिक दबाव में होगा तब उसके घर के लोगों को सावधान होना होगा। ज्यादातर किसान कीटनाशक खाकर आत्महत्या करते हैं। जब कोई किसान अत्यधिक मानसिक दबाव में होगा, उसके पास से कीटनाशक हटा देना चाहिए।
एई समय ऑनलाइन: साइबर बुलिंग से आत्महत्या... कम उम्र के लोगों जुड़ी घटना है। इस पर रोकथाम के लिए क्या करना चाहिए?
डॉ. सरखेल: साइबर बुलिंग रोकना चाहिए। किसी को साइबर बुलिंग किया जा रहा है या कोई साइबर बुलिंग का शिकार है, यह कई लोग समझ नहीं पाते हैं। वे इस समस्या से खुद को कैसे बाहर निकालेंगे, यह समझ नहीं पाते। इसलिए साइबर बुलिंग के लिए हेल्पलाइन होना जरूरी है।
एई समय ऑनलाइन: बात करने का साथी अब एआई (AI) चैटबॉट है, वह बात सुन रहा है, जवाब दे रहा है लेकिन आत्महत्या रोक नहीं पा रहा है?
डॉ. सरखेल: AI चैटबॉट से कई लोग कह रहे हैं कि वे आत्महत्या की प्रवृत्ति रखते हैं। लेकिन AI इसे रोक नहीं पा रहा है। AI को उस तरह से प्रशिक्षित करना होगा ताकि उसके पास आत्महत्या संबंधित कोई बात आये तो वह मदद कर सके। हालांकि, AI आत्महत्या रोक न पाये तो भी लंबे समय तक बात जारी रख सकता है। यह भी कम नहीं है।
एई समय ऑनलाइन: इंसान इंसान से बात न करके AI चैटबॉट से बात कर रहा है। क्या यह अकेलापन आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ा रहा है?
डॉ. सरखेल: अकेलापन आत्महत्या का रास्ता चुनने का एक प्रमुख कारण है। अकेलापन ज्यादातर मामलों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ाता है। इसलिए किसी में आत्महत्या की प्रवृत्ति के लक्षण दिखाई देने पर सबसे पहले उसके साथ सामने बैठकर बात करनी चाहिए।