विलेन बनी बारिश! पूजा से ठीक पहले बुखार-जुकाम से लोग बेहाल

डॉक्टरों की सलाह के मुताबिक पूजा ठीक से मनाना है तो बारिश से बचें

By Anirban Ghosh, Posted by: Shweta Singh

Sep 25, 2025 19:49 IST

एई समय। मौसम का मिजाज लगातार बदल रहा है। कभी तेज धूप और फिर एकदम से मूसलाधार बारिश होने लगती है। इस बदलते मौसम में तापमान में भी लगातार उतार चढ़ाव हो रहा है। इतनी बारिश के बाद भी चिपचिपि गर्मी से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। उल्टा जब तब हो रही बारिश में भीगते रहने से लोग इन दिनों बुखार-सर्दी-खांसी से बेहाल हैं।

नतीजतन हर घर में कोई न कोई बुखार-जुकाम-खांसी से पीड़ित है। इन्फ्लुएंजा, आरएसवी, राइनो और एडिनो वायरस का प्रकोप बढ़ रहा है। इधर मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि पूजा के दिनों में भी बारिश का सिलसिला जारी रहेगा।

इसलिए डॉक्टरों की सलाह है कि अगर आप पूजा का आनंद लेना चाहते हैं तो बारिश से बचें। अगर भीग जाएं तो घर लौटकर गुनगुने पानी से स्नान करें और एंटी-एलर्जिक दवा लेना न भूलें। विशेषज्ञ जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से परामर्श लेने की सलाह भी दे रहे हैं।

बुखार को लेकर चिंता का बड़ा कारण यह है कि बरसात के मौसम में मच्छर जनित बीमारियां डेंगू-मलेरिया के फैलने की आशंका है। इसलिए दो-तीन दिन से ज्यादा बुखार रहने पर भी खुद से 'डॉक्टरी' करना अपनी जान से खिलवाड़ करना होगा। इस समय बुखार-जुकाम-खांसी के साथ-साथ गले में दर्द और शरीर-हाथ-पैर में दर्द भी बढ़ जाता है। ऐसे लक्षणों से लोग परेशान हो रहे हैं।

अधिकांश मामलों में यह संक्रमण सामान्य वायरस के कारण होता है। अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि डॉक्टर चिंतित हैं क्योंकि इसमें कुछ डेंगू के संक्रमण और सेकेंडरी बैक्टीरियल इंफेक्शन भी शामिल हैं। इसलिए डॉक्टर सर्दी लगने को हल्के में न लेने की सलाह दे रहे हैं।

मेडिसिन विशेषज्ञ अरिंदम बिस्वास का कहना है कि अगर बुखार नहीं है तो चिंता की कोई बात नहीं है। ऐसे ही तीन दिन के अंदर ठीक हो जाता है। हालांकि अगर थोड़ी सी भी कंपकंपी हो और बुखार उतरने में ज्यादा समय लगे तो डेंगू और मलेरिया का टेस्ट कराना जरूरी है। उनकी सलाह है कि पूजा की खरीदारी या पूजा के दौरान पंडाल घूमते समय भीड़ में मास्क का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इससे कोरोना की तरह ही अन्य सांस संबंधी वायरस के संक्रमण पर अंकुश लगेगा।

वायरस का इतना प्रकोप क्यों है? अरिंदम के अनुसार ठंड और गर्मी के कारण जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अस्थायी रूप से कमजोर हो जाती है, इम्युनिटी की कमी का फायदा उठाकर ठीक उसी समय वायरस हमला करता है। बहुत ठंडा पानी पीना और बार-बार एसी में आना-जाना इस मौके को और बढ़ा देता है।

माइक्रोबायोलॉजी विशेषज्ञ सौगत घोष बता रहे हैं कि इस समस्या का तकनीकी नाम एक्यूट फिब्राइल या नॉन-फिब्राइल रेस्पिरेटरी इलनेस है। इन्फ्लुएंजा वायरस के साथ ही इनके पीछे संभवतः एडिनोवायरस, रेस्पिरेटरी सिन्सिटियल वायरस (आरएसवी), ह्यूमन मेटान्यूमोनो वायरस, हंटा वायरस जैसे खतरनाक जीवाणु हैं।

बच्चों को इन्फ्लुएंजा और आरएसवी ज्यादा प्रभावित कर रहे हैं। ये एक बार किसी के शरीर में प्रवेश कर जाएं तो आसपास के किसी को नहीं छोड़ते। नतीजतन परिवार के एक सदस्य के बीमार होने के बाद धीरे-धीरे बाकी लोगों को भी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आने लगती हैं। ऐसी स्थिति में बारिश में भीगने से हालात के और बिगड़ने की आशंका रहती है।

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