जब डायबिटीज होता है तब शुरुआती अवस्था में इसका पता नहीं चलता है। यह पता करने के लिए ब्लड टेस्ट करना होता है। हालांकि डॉक्टरों की राय में जब ब्लड सुगर बढ़ने लगता है तब त्वचा पर भी कुछ लक्षण दिखाई देते हैं।
अगर आप अचानक गर्दन, गले, बांहों के मूल में काले धब्बे देखते हैं, तो एकदम सावधान हो जाएं। डॉक्टरों का कहना है कि यह 'अर्ली डायबिटीज' का लक्षण हो सकता है।आपने फल या फल से बना कोई खाद्य पदार्थ नहीं खाया है फिर भी मुंह में मीठे फल की गंध आ रही है। यह भी डायबेटिक कीटोएसिडोसिस का लक्षण हो सकता है।
जब ब्लड सुगर का स्तर बढ़ने लगता है तब त्वचा पर बार-बार फंगल संक्रमण होता है। विशेष रूप से गुप्तांगों, बांहों के मूल, हाथ-पैर की उंगलियों के बीच में फफूंद या बैक्टीरिया हमला करते हैं।
दांत या मसूड़ों से खून निकलने पर सावधान हो जाएं। खून में डायबिटीज का स्तर बढ़ने पर 'मौखिक स्वास्थ्य' खराब हो सकता है। यहां तक कि मुंह के छाले का जल्दी न ठीक होना भी डायबिटीज का लक्षण हो सकता है।
बिना किसी कारण के हाथ-पैरों में झनझनाहट हो रही है। ऐसा लग रहा है जैसे उंगलियों में असंख्य सुइयां चुभ रही हों। चिकित्सकों का कहना है कि यह डायबेटिक न्यूरोपैथी का लक्षण हो सकता है।
डायबिटीज होने पर रक्त संचार बाधित होता है। इसके परिणामस्वरूप सिर की त्वचा, बाल के रोम कूपों में ऑक्सीजन नहीं पहुंचती। लंबे समय तक ऐसा चलते रहने पर बालों की गुणवत्ता खराब होने लगती है। बाल झड़ने की मात्रा भी बढ़ सकती है।
ब्लड सुगर बढ़ जाने पर अचानक दृष्टि धुंधली हो सकती है। इसके अलावा आंखों में सुई चुभने जैसी अनुभूति भी हो सकती है। धीरे-धीरे चश्मे के लेंस का पावर बढ़ता जाता है।
स्वच्छता बनाए रखने के बावजूद खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने पर जननांगों में बार-बार संक्रमण हो सकता है। मूत्र त्याग के बाद खुजली की समस्या भी हो सकती है।
नाखूनों का रंग, आकार और वर्ण धीरे-धीरे बदलता हुआ दिखाई देगा। ब्लड सुगर का स्तर बढ़ जाने पर नाखूनों की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है। इस कारण से भंगुर नाखून आसानी से बढ़ना भी नहीं चाहते।