भारत में हर दिन 175 लोगों की अचानक मौत हो जाती है। इनमें से लगभग 100 लोगों की मौत दिल का दौरा पड़ने से होती है। 2023 की यह चौंकाने वाली जानकारी राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के रिकॉर्ड से मिली है। उस रिपोर्ट में एक और बात सामने आई है।
2022 में प्रतिदिन होने वाली अचानक मौतों की संख्या की तुलना में 2023 में मौतों की संख्या में वृद्धि होगी। 2022 में भारत में 56,653 अचानक मौतें हुईं जिनमें से 32,410 दिल के दौरे से हुईं। 2023 में 63,609 अचानक मौतें हुईं जिनमें से 35,637 दिल के दौरे से हुईं।
एनसीआरबी की 'भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्याएं' शीर्षक वाली रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि किस प्रकार की मृत्यु को आकस्मिक मृत्यु कहते हैं? आकस्मिक मृत्यु वह मृत्यु है जो बिना किसी हिंसक कारण के तुरंत या कुछ ही मिनटों में हो जाती है। हृदयाघात और मस्तिष्क रक्तस्राव जैसी घटनाएं भी इसी श्रेणी में आती हैं। आंकड़े बताते हैं कि कम से कम 60 प्रतिशत 'अचानक होने वाली मौतें' हृदयाघात के कारण होती हैं।
लिंग-संबंधी जानकारी?
2023 में 63,609 लोगों की अचानक मृत्यु हुई। इनमें से 53,310 पुरुष और 10,289 महिलाएं थीं और 10 तृतीय लिंग के नागरिक थे।
ऐसी मौतें किन राज्यों में ज्यादा हैं?
पूरे देश में सबसे ज्यादा अचानक मौतें महाराष्ट्र (21,310) में हुईं। कर्नाटक में 7551 और केरल में 6930 लोगों की मौत हुई। 2023 में इन तीनों राज्यों में कुल मिलाकर पूरे देश में हुई अचानक मौतों का 56 प्रतिशत हिस्सा होगा। 2022 के आंकड़ों के अनुसार इस मामले में भी महाराष्ट्र सबसे आगे है। इसके बाद केरल और कर्नाटक का नंबर आता है।
दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु:
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार कई राज्यों में सभी आकस्मिक मौतें दिल के दौरे के कारण हुईं। उदाहरण: ओडिशा (589), पांडिचेरी (48)।
किस आयु वर्ग में सबसे ज्यादा मौतें हुईं?
अचानक होने वाली मौतों और दिल के दौरे से होने वाली मौतों की संख्या सबसे ज्यादा 45 से 60 वर्ष की आयु के नागरिकों में देखी गई। इसके बाद 30-45 आयु वर्ग का स्थान आता है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2019 से ऐसी मौतों की संख्या में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है। हालांकि 2022 और 2023 में ऐसी मौतों की संख्या में बड़ा उछाल आया है। 2019 से 2023 तक आकस्मिक मौतों की संख्या में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई। दिल के दौरे से होने वाली मौतों में 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जुलाई में कहा था कि ऐसी मौतों में वृद्धि के कारणों की जांच के लिए कदम उठाए गए हैं। यह सवाल उठाया गया था कि क्या ऐसी मौतों का कोविड वैक्सीन से कोई संबंध है। हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने उस दावे का खंडन किया और कहा कि कोविड वैक्सीन और देश में मौतों की संख्या में अचानक हुई इतनी वृद्धि के बीच कोई संबंध नहीं है। आईसीएमआर और एनसीडीसी के अध्ययनों में भी कोविड वैक्सीन को सुरक्षित पाया गया है। फिर भी, दोनों संस्थाएं इस बात की जांच करने में जुटी हैं कि देश भर में ऐसी मौतें क्यों देखी जा रही हैं।