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बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन, क्या है कारण? अंतरिम सरकार ने शांति की अपील की

चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायोग के बाहर भी प्रदर्शनकारियों ने धरना दिया

By डॉ. अभिज्ञात

Dec 19, 2025 16:54 IST

ढाकाः बांग्लादेश में शेख हसीना विरोधी आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले और भारत के खिलाफ रुख वाले नेता शरीफ उस्मान हादी की गुरुवार देर रात मौत के बाद देश में हिंसा फैल गयी है। इंकलाब मंच के संयोजक हादी पर 12 दिसम्बर को ढाका में चुनाव प्रचार के दौरान हमला हुआ था। उनका इलाज सिंगापुर में चल रहा था। मौत की खबर फैलने के बाद से देश में हालात तनावपूर्ण हो गये हैं।

गुरुवार रात भर चले हिंसक घटनाक्रम में डेली स्टार और प्रोथोम आलो जैसे मीडिया संस्थानों के कार्यालयों को निशाना बनाया गया, वहीं प्रदर्शनकारियों ने शेख मुजीबुर रहमान के आंशिक रूप से ध्वस्त आवास पर भी आक्रोश जताया। देश के कई हिस्सों में अशांति फैलने के बीच इंकलाब मंच ने जनता से हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी से दूर रहने की अपील की। संगठन ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि कुछ समूह अराजकता फैलाकर बांग्लादेश की संप्रभुता और स्थिरता को कमजोर करना चाहते हैं तथा आगामी फरवरी चुनावों को देखते हुए शांति बनाए रखना ज़रूरी है।

इन हालात पर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया में हिंसा, धमकी, आगजनी और संपत्ति के विनाश की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि ऐसी गतिविधियां देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पटरी से उतार सकती हैं। बयान में नागरिकों से भीड़ हिंसा के खिलाफ खड़े होने की अपील की गई और इसे कुछ सीमांत तत्वों की हरकत बताया गया।

सरकार ने आगामी चुनाव और जनमत संग्रह को केवल राजनीतिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय दायित्व करार देते हुए कहा कि शहीद हादी के सपने को साकार करने के लिए संयम, जिम्मेदारी और घृणा से दूरी जरूरी है। मीडिया पर हुए हमलों की निंदा करते हुए सरकार ने पत्रकारों के साथ एकजुटता जताई और उन्हें पूर्ण न्याय का भरोसा दिलाया।

मयमनसिंह में एक हिंदू व्यक्ति की हालिया लिंचिंग की भी सरकार ने कड़ी निंदा की और स्पष्ट किया कि नए बांग्लादेश में इस तरह की हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है तथा दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। एनएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक धानमंडी स्थित प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संस्था छायानट को भी हिंसा का निशाना बनाया गया। प्रदर्शनकारियों ने कार्यालय में तोड़फोड़ कर आग लगा दी, जिससे दुर्लभ पुस्तकें और वाद्य यंत्र नष्ट हो गए। महासचिव लैसा अहमद ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की। 1961 में स्थापित छायानट को बंगाली सांस्कृतिक विरासत का अहम केंद्र माना जाता है।

कई ज़िलों में सड़क जाम और हाईवे अवरोध से जनजीवन प्रभावित हुआ। चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायोग के बाहर भी प्रदर्शनकारियों ने धरना दिया। इस दौरान अवामी लीग और भारत विरोधी नारे लगाए गए, जिसके बाद पुलिस ने हस्तक्षेप किया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाकर क्षेत्र में अतिरिक्त बल तैनात किया।

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