22 सितंबर से इस साल शारदीय नवरात्रि (Navratri) की शुरुआत होने वाली है। हर साल अक्टूबर-नवंबर माह में जिस नवरात्रि को मनाया जाता है उसे शारदीय नवरात्रि और चैत्र के महीने में जिस नवरात्रि को मनाया जाता है, उसे चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।
दोनों नवरात्रि में ही 9 दिनों तक देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग रुपों की पूजा की जाती है। इस साल मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आने वाली है। ऐसे में क्या यह नवरात्रि शुभ अथवा अशुभ कौन सा फल लाएगी? क्या है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त?
आइए जान लेते हैं विस्तार से -
इस बार माता हाथी पर सवार होकर आने वाली हैं। जब शारदीय नवरात्रि की शुरुआत रविवार या सोमवार को होती है, मान्यताओं के अनुसार तब माता हाथी पर सवार होकर आती हैं। इस साल नवरात्रि की शुरुआत सोमवार (22 सितंबर) से होने वाली है।
कहा जाता है कि हाथी पर सवार होकर देवी के आने पर यह पूजा विशेष फलदायी होती है। नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ की जाती है। इस साल 22 सितंबर की सुबह 6.09 से 8.06 बजे के बीच में कलश स्थापना की जा सकेगी। इसके साथ ही दोपहर में 11.49 से 12.38 बजे तक भी कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त बताया जाता है।
कब कौन सी देवी की होगी पूजा?
22 सितंबर 2025 (प्रथमा) - मां शैलपुत्री
23 सितंबर 2025 (द्वितीया) - मां ब्रह्मचारिणी
24 सितंबर 2025 (तृतीया) - मां चंद्रघंटा
26 सितंबर (चतुर्थी) - मां कूष्मांडा
27 सितंबर (पंचमी) - मां स्कंदमाता
28 सितंबर (षष्ठी) - मां कात्यायनी
29 सितंबर (सप्तमी) - मां कालरात्रि
30 सितंबर (अष्टमी) - मां सिद्धिदात्री
01 अक्तूबर (नवमी) - मां महागौरी
02 अक्तूबर (विजयादशमी) - दशहरा