नेपाल इन दिनों क्रांति की आग में जल रहा है। सड़कों पर आधी जली हुई गाड़ियां, संसद भवन और मंत्रियों के घरों में आगजनी की घटनाओं की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। भारत भी नेपाल की स्थिति पर अपनी नजरें बनाए हुए है। अफवाह तो यहां तक फैली थी कि नेपाल में तख्तापलट करने वाले जेन ज़ी ने राजधानी काठमांडु में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर पर भी हमला कर दिया है। हालांकि इन खबरों की पुष्टि नहीं हो सकी है।
कैसे एक-दूसरे के बिना हैं अधुरे?
क्या आप जानते हैं, भारत का केदारनाथ धाम और नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर एक-दूसरे से पूरी तरह से जुड़ा हुआ है। कहा तो यहां तक जाता है कि केदारनाथ धाम के दर्शन करने वाले किसी भी श्रद्धालु को तब तक पुण्य की प्राप्ति नहीं होती है, जब तक वह नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन न कर लें। पर दो अलग-अलग देशों में मौजूद दो मंदिरों के बीच आखिर संबंध क्या हो सकता है? कैसे दोनों मंदिर एक-दूसरे के बिना अधूरे माने जाते हैं?
मुंह नेपाल तो पुंछ केदारनाथ
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत के युद्ध में हुए संहार से महादेव क्रोधित हो गये थे। पांडव उनसे माफी मांगने के लिए जब काशी पहुंचे तो भगवान शिव केदारनाथ आ गये। जब पांडव उनका पीछा करने लगे तो महादेव में एक भैंसे का रूप धारण कर लिया। लेकिन भीम ने उन्हें पहचान लिया।
पांडवों से बचने के लिए महादेव धरती में समा गये लेकिन भीम ने उनके पैर पकड़ लिये। इस दौरान भैंसा रूपी महादेव का मुंह काठमांडु में बाहर निकल चुका था और उनका शरीर केदारनाथ धाम में ही रह गया था।
इसलिए कहा जाता है कि काठमांडु के पशुपतिनाथ मंदिर में भैंस (महादेव) का मुंह और केदारनाथ धाम में उनके पूंछ वाला हिस्सा है। इसी वजह से कहा जाता है कि केदारनाथ धाम के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को पुण्य का लाभ तब तक नहीं मिलता है, जब तक काठमांडु में पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन न कर लें।