गया, 9 सितंबर : पितृपक्ष की शुरुआत हो चुकी है। साल के इस समय में लोग अपने मृत परिजनों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म के साथ ही पिंडदान भी करते हैं। यूं तो पिंडदान किसी भी नदी के पवित्र तट पर किया जा सकता है लेकिन मुख्य रूप से बिहार के गया जी में फल्गु नदी के किनारे पिंडदान करने के लिए देश और विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
मान्यता है कि इस स्थान पर ही भगवान श्रीराम ने माता सीता और लक्ष्मण के साथ अपने पिता दशरथ का पिंडदान किया था।
एक नहीं कई जगहों पर श्रीराम ने किया था पिंडदान
पर क्या आप जानते हैं कि सिर्फ गया जी में ही नहीं बल्कि हमारे देश में कई ऐसी और भी जगहें हैं, जिनके बारे में दावा किया जाता है कि यहां भी श्रीराम ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया था।
मान्यताओं के अनुसार माता कैकेयी के इच्छानुसार भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण समेत 14 वर्षों का वनवास काटने के लिए अयोध्या से निकल पड़े। इस दौरान अपने प्रिय पुत्र राम का वियोग न सह पाने के दुःख में अयोध्या के राजा दशरथ का स्वर्गवास हो गया।
कहां-कहां किया था उन्होंने पिंडदान?
इधर भरत ने न सिर्फ अयोध्या का राजा बनने का प्रस्ताव ठुकरा दिया बल्कि वह अपने बड़े भाई राम को वापस लाने के लिए भी निकल पड़े। चित्रकुट पर्वत पर भरत श्रीराम से मिले और उन्हें पिता की मृत्यु का समाचार दिया। इसे सुनकर श्रीराम बहुत दुःखी हो गये और वहीं पर मंदाकिनी नदी के तट पर उन्होंने पिंडदान कर पिता की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
भरत बड़े भाई श्रीराम की चरणपादुका लेकर अयोध्या लौट आए और राज्य की देखरेख में जुट गये। वहीं श्रीराम पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ पंचवटी में निवास करने लगे। यहां पितृपक्ष के दौरान तीनों ने गोदावरी नदी के तट पर पितरों को पिंडदान कर उनका श्राद्ध कर्म किया।
राजस्थान भी पहुंचे थे श्रीराम
कुछ मीडिया रिपोर्ट में गरुड़ पुराण में वर्णित एक घटना के हवाले से दावा किया जाता है कि श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ पुष्कर (राजस्थान) पहुंचे थे, जहां पुष्कर झील के पवित्र तट पर उन्होंने एक बार फिर से पितरों का पिंडदान कर श्राद्ध कर्म संपन्न किया था।
इसके बाद श्रीराम और माता सीता ने ब्राह्मणों के लिए भोज का आयोजन भी किया था। कहा जाता है कि इसी स्थान पर माता सीता ने अपने ससुर राजा दशरथ व उनके पूर्वजों को स्वर्ग से पिंडदान स्वीकार करने के लिए धरती पर आते हुए भी देखा था।