बादलों के पीछे छिपा चांद अगर नहीं दिखा तो कैसे खोलेंगी करवा चौथ का व्रत? क्या है मान्यताएं?

इस समय कोलकाता व आसपास के उपनगरीय इलाकों समेत देश के कई शहरों में आसमान में बादल छाए हुए हैं। अगर बादलों के पीछे छिपे चांद के दर्शन नहीं हुए तो क्या महिलाएं अपना व्रत नहीं खोल पाएंगी?

By Moumita Bhattacharya

Oct 10, 2025 16:54 IST

आज (10 अक्तूबर) थोड़ी देर बाद से ही करवा चौथ (Karwa Chauth 2025) की पूजा शुरू होने वाली हैं। पति की लंबी उम्र के लिए विवाहित महिलाएं हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखती हैं। इसमें महिलाएं पूरे दिन का निर्जला उपवास रखती हैं जिसको लेकर मान्यताएं हैं कि इससे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। लेकिन...

इस समय सिर्फ कोलकाता व आसपास के उपनगरीय इलाकों में ही नहीं बल्कि देश के कई शहरों में बारिश होने और आसमान में बादल छाए हुए हैं। ऐसे में अगर बादलों के पीछे छिपे चांद के दर्शन नहीं हुए तो क्या महिलाएं अपना व्रत नहीं खोल पाएंगी? क्या उनकी पूजा अधूरी रह जाएगी?

करवा चौथ के व्रत की शुरुआत महिलाएं सूर्योदय से पहले सास द्वारा दी गयी सरगी खाकर करती हैं। इसके बाद पूरा दिन व्रत रखती और शाम के समय सोलह श्रृंगार करके करवा माता व भगवान गणेश की पूजा करती हैं। इस पूजा के बाद चंद्रोदय का बेसब्री से इंतजार किया जाता है, क्योंकि चांद की पूजा और उन्हें जल अर्घ्य देने के बाद ही महिलाएं अपने पति के हाथों से पानी पीकर इस व्रत को खोलती हैं।

लेकिन आज कोलकाता व आसपास के इलाकों में आसमान में घने काले बाद छाए हुए हैं। अगर आपके शहर में भी इस समय बादलों ने आसमान पर कब्जा कर रखा है तो आप कैसे करवा चौथ का अपना व्रत खोलेंगी? ऐसी स्थिति को लेकर क्या है मान्यताएं? आइए जान लेते हैं -

मान्यताओं के अनुसार अगर मौसम साफ न हो या किसी भी कारणवश करवा चौथ के दिन चांद का दर्शन दुर्लभ हो जाए तब भी चंद्रोदय के निर्धारित समय पर ही चंद्र देव की विधिवत पूजा करें। उन्हें जल का अर्घ्य दें। अगर आप चाहे तो भगवान शिव की किसी प्रतिमा में उनके मस्तक पर विराजित चंद्र देव के दर्शन कर भी अपने व्रत को पूरा कर सकती हैं।

छलनी से ही चंद्रदेव के दर्शन करें और फिर छलनी से पति को देखने के बाद अपना व्रत पूरा कर लें। धार्मिक मान्यताओं में कहा जाता है कि अगर घर में भगवान शिव की प्रतिमा नहीं है, तो एक चौकी पर चावल, चावल के आटे या गेहूं के शुद्ध आटे से चंद्रमा की आकृति बनाएं। फिर उसकी विधि-विधान और पूरी श्रद्धा से पूजा करने के साथ अपना व्रत पूरा करें।

Prev Article
अगले साल अक्टूबर के मध्य में दुर्गापूजा, जानें कब-कब छुट्टी रहेगी
Next Article
यहां भगदड़ में 10 श्रद्धालुओं की मौत! क्यों कहलाता है वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर ‘मिनी तिरुपति’?

Articles you may like: