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दार्जिलिंग का ग्लेनरीज़ बंद नहीं बल्कि पूरी जिंदादिली के साथ कर रहा है मेहमानों का स्वागत : मैनेजर अशोक तमांग से खास बातचीत

दार्जिलिंग के मशहूर ग्लेनरीज़ के प्रतिनिधि अशोक तमांग से एक खास बातचीत में हाल ही में फैले अफवाहों का अंत हुआ। जानिए क्या बताया उन्होंने!

By Shrey Banerjee, Posted By : Moumita Bhattacharya

Dec 28, 2025 19:22 IST

सर्दियों की शुरुआत होते ही दार्जिलिंग में देश ही नहीं बल्कि बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी खींचे चले आते हैं। यहां आने वाले प्रत्येक पर्यटक के लिए दो मुख्य आकर्षण होता है - पहला, बादलों और घने कोहरे के पीछे छिपी कंचनजंघा की बर्फिली चोटी का दीदार और दूसरा ग्लेनरीज़ (Glenary’s) में गर्मागर्म कॉफी या हॉट चॉकलेट के साथ इंग्लिश ब्रेकफास्ट का लुत्फ उठाना। लेकिन पिछले कुछ समय से यह कहा जा रहा है कि दार्जिलिंग के सबसे मशहूर हेरिटेज जगहों में से एक ग्लेनरीज़ बंद हो गया है। क्या यह वाकई पूरी तरह से बंद है?

यहीं सवाल हमने पूछा था ग्लेनरीज़ के मैनेजर अशोक तमांग से। उन्होंने साफ-साफ बताया कि अफवाहों पर भरोसा न करें। ग्लेनरीज़ की बेकरी और रेस्तरां पहले की तरह ही मेहमानों का स्वागत करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसलिए अगर आप नववर्ष के फेस्टिव सीजन में दार्जिलिंग जा रहे हैं तो इस जगह को एक बार फिर से नए सिरे से एक्सप्लोर करना बिल्कुल न भूलें।

तमांग ने स्पष्ट किया कि यह कन्फ्यूजन बार के अस्थायी रूप से बंद होने की वजह से हुआ है। कुछ कारणों से अभी सिर्फ बार सेक्शन बंद है। हालांकि बार सेक्शन के बंद होने की वजहों का खुलासा करने से इनकार करते हुए अशोक तमांग ने कहा कि एक मैनेजर के तौर पर मैं ज़्यादा कुछ नहीं कह सकता और मैं राजनीति में नहीं पड़ना चाहता हूं।

उन्होंने कहा कि ग्लेनरीज़ बिल्कुल बंद नहीं है। यह एक अफवाह है, एक गलतफहमी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रोजमर्रा का काम सुचारू रूप से चल रहा है। बेकरी अच्छे से चल रही है, रेस्टोरेंट खुला हुआ है और हर शाम हम भीड़ देख रहे हैं। रात में लोगों की लाइन भी लग रही है।

हम यहां यह स्पष्ट कर दें कि अशोक तमांग के साथ हमारी बातचीत ग्लेनरीज़ को खोलने के कलकत्ता हाई कोर्ट का आदेश आने से पहले ही हुई थी। इस इंटरव्यू के कुछ समय बाद ही हाई कोर्ट ने दार्जिलिंग के मशहूर ग्लेनरीज़ बार एंड पब को क्रिसमस और नए साल के फेस्टिव सीजन के लिए अस्थायी रूप से फिर से खोलने का आदेश दिया। यह उत्तर बंगाल के इस पहाड़ी शहर का एक जाना-माना रेस्तरां है।

अफवाह या हकीकत

क्या अफवाहों से ग्लेनरीज़ की विरासत को नुकसान पहुंचाया है? यह पूछने पर अशोक तमांग ने साफ कहा कि मुझे नहीं लगता कि ग्लेनरीज़ की विरासत पर इसका कोई असर पड़ा है। उन्होंने कहा, "हमारा अपना इतिहास और विरासत है। यह कोई नया खुला रेस्तरां नहीं है बल्कि एक हेरिटेज है।" गौरतलब है कि 1885 में स्थापित ग्लेनरीज़ लंबे समय से दार्जिलिंग की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा रहा है। हालांकि तमांग ने माना कि इस अफवाह की वजह से व्यवसाय थोड़ा मंदा जरूर हुआ है लेकिन उन्होंने यह भी माना कि ग्राहकों का भरोसा अभी भी मजबूत है।

उन्होंने कहा, "जब खाने या मेहमाननवाजी की बात आती है तो हमने लोगों को निराश नहीं किया है।" "कोलकाता, पूरे भारत, दिल्ली, मुंबई यहां तक ​​कि दक्षिण भारत से भी लोग हमारे यहां आते रहते हैं। बहुत से लोग शायद अपनी पसंदीदा जगहों पर न जाएं लेकिन वे कम से कम एक कप कॉफी, एक पॉट चाय या हमारी क्लासिक बेकरी आइटम के लिए यहां जरूर आते हैं।"

परंपरा और बदलाव के बीच संतुलन

जब यह पूछा गया कि क्या किसी सेलिब्रिटी द्वारा अनुरोध करने पर कभी ग्लेनरीज़ के मेन्यू को बदलाव किया गया है? तमांग ने कोलकाता के एक समूह का किस्सा सुनाया जिनकी कुछ खास खाने की फरमाइश थीं। उन्होंने कहा, “उन्हें एलर्जी की वजह से ग्लूटेन-फ्री खाना चाहिए था। हमने उनकी जरूरतों के हिसाब से सब कुछ तैयार किया”।

उन्होंने किचन की फ्लेक्सिबिलिटी पर जोर दिया। साथ उन्होंने यह भी बताया कि शायद ही ऐसा कभी होता है कि सेलिब्रिटी कोई अजीब मांग करते हैं। वे आमतौर पर हमारे सर्व किए गए खाने से खुश रहते हैं। वे हमारे खाने की इज्जत करते हैं।

जब तमांग से यह पूछा गया कि क्या कोई सेलिब्रिटी नियमित तौर पर क्रिसमस के समय ग्लेनरीज़ आता है, तो तमांग ने बहुत ही गर्व के साथ कहा, "जो भी ग्लेनरी में आता है, वह मेरे लिए सेलिब्रिटी है।" उन्होंने आगे कहा कि भले ही यह एक कोलोनियल-टाइम का बिजनेस है लेकिन कोलकाता और पूरे भारत से लोग यहां आते हैं और हमें जवान महसूस कराते हैं।

उन्होंने बताया कि टीम हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करती रहती है ताकि वे समय के साथ चल सकें। “हम नई चीजें ट्राई करते हैं। जो काम नहीं करता उसे हटा देते हैं और बदलाव करते रहते हैं। हम आज की पीढ़ी के साथ-साथ पुरानी पीढ़ियों के भी साथ चलते हैं।”

‘ग्लेनरीज़ के बिना दार्जिलिंग अधूरा’

ग्लेनरीज़ को दार्जिलिंग के दूसरे रेस्तरां से क्या अलग बनाती है? यह पूछने पर अशोक तमांग ने वह बताया जो ग्राहक अक्सर ग्लेनरीज़ के बारे में कहते हैं। "बिना ग्लेनरीज़ में गए दार्जिलिंग की यात्रा अधूरी है।" तमांग ने कहा, "यहीं सब कुछ कह देता है।"

पिछले कुछ सालों में ग्लेनरीज़ पहाड़ों की पृष्ठभूमि पर बनीं फिल्मों में कई बार दिखाया जा चुका है। अपने सबसे यादगार कस्टमर अनुभवों को याद करते हुए तमांग ने सेलिब्रिटी पलों के बजाय भावनात्मक संबंधों के बारे में बात की।

उन्होंने कहा, "कभी-कभी लोग खाना खाने के बाद मुझे गले लगाते हैं, धन्यवाद देते हैं और साथ में तस्वीरें लेने के लिए कहते हैं।" "इससे मुझे गर्व और संतुष्टि महसूस होती है। यह सिर्फ मैं नहीं हूं बल्कि ग्लेनरीज़ भी उस भावना का हिस्सा है।"

एक शब्द जो ग्लेनरीज़ को परिभाषित करें

अशोक तमांग ने बिना देर किए दार्जिलिंग में ग्लेनरीज़ की भूमिका को एक शब्द में बताते हुए इसे "HOPE" करार दिया। उन्होंने कहा, "चाहे कुछ भी हो जाए हमेशा उम्मीद बनी रहती है : बेहतर दिनों की और आने वाली पीढ़ियों के लिए।"

अगर उन्हें ग्लेनरीज़ की मेन्यू से कोई एक स्पेशल डिश चुननी होती तो? इस सवाल का उनका तुरंत जवाब था : सिज़लर। उन्होंने कहा कि हम कॉन्टिनेंटल खाने के विशेषज्ञ हैं और हमारे सिज़लर बहुत पसंद किए जा रहे हैं।"

जब हेरिटेज संस्थान गलत जानकारी का शिकार हो सकते हैं, ऐसे समय में ग्लेनरीज़ का जवाब मजबूत और जमीन से जुड़ा हुआ है। इतिहास से जुड़ा हुआ, वफादारी से टिका हुआ और लगभग 140 सालों के भरोसे से प्रेरित है।

(News Ei Samay से साभार)

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