कोलकाता: राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल ने मंगलवार को संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) को दोबारा पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि कोलकाता और आसपास के निजी बहुमंज़िला आवासीय परिसरों में यदि 800 या उससे अधिक मतदाता रहते हैं तो वहीं मतदान केंद्र स्थापित करने की संभावनाओं पर आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराई जाए। इस संबंध में 6 दिसंबर तक रिपोर्ट मांगी गई है। हालांकि राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस इस कदम का विरोध कर रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले सप्ताह खुद मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखकर इस निर्णय पर आपत्ति जताई थी।
सूत्रों के अनुसार, सीईओ कार्यालय ने उत्तर व दक्षिण कोलकाता, उत्तर व दक्षिण 24 परगना तथा हावड़ा के जिला निर्वाचन अधिकारियों को बड़े आवासीय परिसरों में बूथ बनाने के लिए विवरण भेजने को कहा है। दक्षिण 24 परगना के डीईओ ने अब तक छह आवासों की सूची भेज दी है जबकि कई और आवासीय परिसरों ने बूथ बनाने में रुचि दिखाई है।
आयोग का कहना है कि उद्देश्य मतदान प्रतिशत बढ़ाना और मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करना है। अनेक बहुमंज़िला आवासों के निवासी बाहर जाकर कतार में खड़े होकर मतदान करना नहीं चाहते। साथ ही कई स्थानों पर राजनीतिक तनाव भी एक महत्वपू्र्ण कारण बनता है। दक्षिण उपनगरों में ऐसे भी आवास हैं जहां राजनीतिक दलों को प्रचार के लिए प्रवेश नहीं दिया जाता लेकिन यदि परिसर के भीतर ही मतदान केंद्र बनाया जाए तो निवासी मतदान में भाग लेने को तैयार हैं। चूंकि इन बूथों में बाहरी लोगों को वोट देने की अनुमति नहीं होगी इसलिए अशांति की संभावना भी नहीं रहेगी। यही कारण है कि आयोग 800 या उससे अधिक मतदाताओं वाले निजी आवासीय परिसरों में बूथ बनाने को इच्छुक है। कई आवासीय समितियों ने अपने कम्युनिटी हॉल उपलब्ध कराने की पेशकश की है।
पिछले सप्ताह तृणमूल नेत्री की आपत्ति के बावजूद आयोग अपने निर्णय पर अटल है। इसे ध्यान में रखते हुए बुधवार शाम को कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने नेताजी इंडोर स्टेडियम में शहर के आवासों की प्रबंधन समितियों के साथ बैठक बुलाई है। नगरपालिका सूत्रों का कहना है कि यह बैठक नागरिक समस्याओं, जैसे पेयजल और निकासी पर चर्चा के लिए है लेकिन पार्टी सूत्रों के अनुसार, मेयर इसी बैठक में आवासों में बूथ बनाए जाने पर सरकार की आपत्ति भी रख सकते हैं।