कोलकाता एयरपोर्ट के रनवे के सामने मौजूद मस्जिद एक बार फिर से चर्चाओं में छा गया है। सोमवार को राज्यसभा में भाजपा सांसद व पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य ने इस मुद्दे को फिर से उठाया। उन्होंने केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल से इस संबंध में पूछा कि इस मस्जिद की वजह से ही अभी तक दूसरे रनवे का पूरी तरह से उपयोग नहीं हो पा रहा है।
तो फिर बार-बार सुरक्षा को लेकर सवाल उठने के बावजूद क्यों उस मस्जिद को वहां से हटाने के विषय में कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं?
केंद्रीय मंत्री ने क्या बताया?
इस सवाल के जवाब में भाजपा के केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोलकाता में समानांतर दो रनवे हैं - एक प्राथमिक (मुख्य) और दूसरा सेकेंडरी। प्राथमिक रनवे से ही प्रतिदिन उड़ानों का अवतरण और टेकऑफ होता है। रख-रखाव अथवा किसी और काम से अगर प्राथमिक रनवे बंद रहता है तो सेकेंडरी रनवे का इस्तेमाल किया जाता है।
उत्तर दिशा की ओर मौजूद इस रनवे के आखिरी छोर से लगभग 88 मीटर की दूरी पर वह मस्जिद स्थित है। लेकिन उस मस्जिद को क्यों दूसरी किसी जगह स्थानांतरित नहीं किया जा रहा है, केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मोहोल ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि शमिक भट्टाचार्य ने भी बाद में कहा, 'इस उत्तर से मैं संतुष्ट नहीं हूं।'
एयरपोर्ट के वरिष्ठ अधिकारियों का क्या है कहना?
एयरपोर्ट के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि मुख्य रूप से अल्पसंख्यक समुदाय से भूमि अधिग्रहण कर वर्ष 1924 में जब कोलकाता (तत्कालीन नाम दमदम) एयरपोर्ट को शुरू किया गया था, तभी से यह मस्जिद वहां मौजूद है। पहले रनवे भी छोटा था। पुराने रनवे के बगल में ही वर्तमान प्राथमिक रनवे का निर्माण किया गया।
बाद में जब सेकेंडरी रनवे के विस्तार की योजना बनायी गयी तो देखा गया कि उसके सामने ही वह मस्जिद आ रही है। 90 के दशक के शुरुआत से ही इस मस्जिद को किसी और जगह पर स्थानांतरित करने की योजना बनायी तो जा रही है लेकिन अभी तक इस बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
9 सितंबर 2001 को जब अमेरिका में ट्वीन टावर पर अलकायदा का आत्मघाती विमान हमले में करीब 3000 निर्दोष लोगों की जान गयी तब दुनिया के हर कोने की सुरक्षा-व्यवस्था को मजबूत करने की कवायद शुरू हुई।
सबसे ज्यादा एयरपोर्ट की सुरक्षा को तेज करने के बारे में विचार किया गया क्योंकि एयरपोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था को दरकिनार कर 4 कमर्शियल विमानों का अपहरण कर अमेरिका में हमला किया गया था। हालांकि कोलकाता एयरपोर्ट की सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर इस मस्जिद की बात तब भी उठी थी लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया था।
क्या है मस्जिद का मामला?
कोलकाता एयरपोर्ट से सटे बांकड़ा इलाके के लगभग 50-60 निवासी हर दिन गेट नंबर 7 से होकर अंदर आते हैं। यहां उनके लिए अलग एन्क्लोजर बनाया हुआ है। यहां आधार कार्ड दिखाकर, सभी सामान जमा कर वे मस्जिद में जाते हैं। एन्क्लोजर गेट से एयरपोर्ट के अंदर के हाई सिक्योरिटी रास्ते से होकर ही वे मस्जिद तक आवाजाही करते हैं।
इस रास्ते के बीच में एक टैक्सी बे भी होता है, जिससे होकर विमान रनवे की ओर जाती है। जब भी कोई विमान टैक्सी बे पकड़कर रनवे की तरफ जाती है तब जिस बस से लोगों को मस्जिद तक लाया जाता है, उस बस को हर बार रास्ते में रुकना पड़ता है। सुरक्षाकर्मी फोन पर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर से यह पूछ लेते हैं कि कोई फ्लाइट मूवमेंट हो रही है अथवा नहीं।
एयरपोर्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस मस्जिद के कारण ही एयरपोर्ट के सेकेंडरी रनवे के पास आईएलएस (इंस्ट्रूमेंटल लैंडिंग सिस्टम) नहीं लगाया जा रहा है। एक अन्य अधिकारी का कहना है कि साल 2003-04 में मैंगलुरु में भी एयरपोर्ट के विस्तार के लिए एक मंदिर, मस्जिद और चर्च को स्थानांतरित किया गया था। अगर वहां हो सकता है तो कोलकाा में क्यों नहीं?
मस्जिद के कारण क्या-क्या समस्या?
- आईएलएस नहीं लग पा रहा है।
- रनवे का नहीं हो पा रहा है विस्तार।
- बिराटी की तरफ से अगर कोई फ्लाइट लैंड करती है तो टक्कर होने की संभावना।
- सुरक्षा से समझौता।
- रनवे के अंतिम छोर से 250 मीटर जगह छोड़ना चाहिए, जो नहीं हो रहा है।