कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के 32 हजार शिक्षकों की नौकरी रद्द करने के आदेश को रद्द कर दिया। न्यायाधीश तपोव्रत चक्रवर्ती और न्यायाधीश ऋतव्रत कुमार मित्र की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाया कि कुछ नियुक्तियों में अनियमितता हुई थी लेकिन इसके कारण सभी की नौकरी रद्द नहीं की जा सकती।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि शिक्षकों और उनके परिवारों को राहत मिली है। यह खुशी की बात है। कोर्ट में जाकर नौकरी हासिल करना ठीक नहीं है। हमें नौकरी देनी है, लेना नहीं। पूर्व शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने भी ट्वीट कर बधाई दी कि 32,000 प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी पूरी तरह सुरक्षित रह गई।
2014 के ‘TET’ के आधार पर 2016 में लगभग 42,500 प्राथमिक शिक्षक नियुक्त किए गए थे। उस प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगा था। 2023 में तत्कालीन न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने 32,000 प्रशिक्षित नहीं हुए शिक्षकों की नौकरी रद्द कर दी थी। हालांकि अब डिवीजन बेंच के फैसले के बाद उनकी नौकरी बहाल हो गई है और नई भर्ती प्रक्रिया में योग्य और उत्तीर्ण उम्मीदवारों को नौकरी जारी रहेगी।
हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने प्राथमिक स्कूल के 32,000 शिक्षकों की नौकरी रद्द कर दी थी। 2014 के ‘TET’ के आधार पर 2016 में प्राथमिक स्तर पर लगभग 42,500 शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। उसी नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था। इसके बाद 12 मई 2023 को उस मामले का निर्णय हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश गंगोपाध्याय ने सुनाया। उनके आदेश के तहत 32,000 प्रशिक्षित नहीं हुए शिक्षक नौकरी से हटाए गए।
पूर्व न्यायाधीश गंगोपाध्याय का आदेश था कि नौकरी रद्द होने के बावजूद ये शिक्षक स्कूल में जाएंगे और राज्य को तीन महीने के भीतर नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करनी होगी। इस प्रक्रिया में योग्य और उत्तीर्ण उम्मीदवारों की नौकरी सुरक्षित रहेगी।
सिंगल बेंच के इस आदेश को चुनौती देते हुए प्राथमिक शिक्षा बोर्ड हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में गया। तत्कालीन न्यायाधीश सुब्रत तालुकदार और न्यायाधीश सुप्रतीम भट्टाचार्य की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के नौकरी रद्द करने के आदेश पर अंतरिम स्थगनादेश जारी किया। साथ ही न्यायाधीश तालुकदार की डिवीजन बेंच ने कहा कि सिंगल बेंच के निर्देशानुसार बोर्ड को नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करनी होगी। हाईकोर्ट के इन दो आदेशों को चुनौती देते हुए राज्य और बोर्ड सुप्रीम कोर्ट गए। वहां नौकरी खो चुके कुछ शिक्षक भी आवेदन कर चुके हैं।
उनका कहना था कि सिंगल बेंच की सुनवाई में सभी पक्षों को अपनी बात कहने का मौका नहीं मिला। उस वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच को सभी पक्षों की दलीलें सुनने का निर्देश दिया था। इसके बाद मामला न्यायाधीश चक्रवर्ती और न्यायाधीश मित्र की डिवीजन बेंच में गया।