कोलकाता: अदालत के निर्देश के अनुसार मंगलवार से जादवपुर विश्वविद्यालय कैंपस में पूर्व सैन्यकर्मियों की गश्त शुरू हो गई। दो सुपरवाइज़र और 30 पूर्व सैनिकों ने आज से निगरानी का काम संभाल लिया। इनकी नियुक्ति राज्य सैनिक बोर्ड के माध्यम से की गई है। शैक्षणिक परिसर में पूर्व सैनिकों की गश्त एक तरह से अभूतपूर्व कदम माना जा रहा है।
संस्थान में छात्रों की लगातार होने वाली मौतों को लेकर उठते प्रश्नों के बाद संपूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया। इसके लिए प्रति माह 7 लाख 60 हज़ार रुपये खर्च होंगे जिसे राज्य सरकार वहन करेगी। कैमरे कब लगाए जाएंगे इस पर अभी भी प्रश्न बना हुआ है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि राज्य से कैमरे लगाने के लिए राशि मिल चुकी है और जादवपुर तथा सॉल्टलेक दोनों परिसरों में CCTV लगाने का काम शुरू किया जाएगा।
जादवपुर की सुरक्षा को लेकर बार-बार सवाल उठे हैं। रैगिंग की वजह से मेन हॉस्टल में प्रथम वर्ष के एक छात्र की मौत और हाल ही में कैंपस में पानी में डूबकर एक छात्रा की मौत हुई। दोनों ही घटनाओं ने सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी है। इस मामले पर हाईकोर्ट में केस भी चल रहा है। ऐसे माहौल में विश्वविद्यालय के अपने सुरक्षा गार्डों और राज्य की सुरक्षा टीम के साथ अब पूर्व सैनिक भी गश्त कर रहे हैं।
ज्ञात हुआ है कि विश्वविद्यालय में 130 स्थायी सुरक्षाकर्मियों के पद हैं लेकिन केवल 78 कार्यरत हैं। कुलपति चिरंजीब भट्टाचार्य ने मंगलवार को कहा कि कोर्ट के निर्देश पर 30 सुरक्षा कर्मियों की नियुक्ति की गई है। हर शिफ्ट में 10 सुरक्षा कर्मी, तीन अलग शिफ्टों में तैनात किया जाएगा। कैंपस में गश्त कर रहे एक पूर्व सैनिक ने कहा कि सेना में नौकरी के बाद राज्य सैनिक बोर्ड के माध्यम से हमें नियुक्ति पत्र मिला। हमने इसके लिए आवेदन किया था। संस्कृत विभाग के सामने तैनात एक अन्य पूर्व सैनिक बोले कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि पहले जैसी घटनाएं दोबारा न हों।