हावड़ा शहर के रास्तों पर भोर के समय छा रहा है घना कोहरा, क्या धूल-कण है इसकी वजह?

भले ही कोहरे को देखकर किसी के मन में यह अहसास जरूर आ सकता है कि शायद हावड़ा में गुलाबी सर्दी ने अपनी दस्तक दे ही है लेकिन मौसम विभाग से मिली जानकारी लोगों को थोड़ी निराश जरूर कर सकती है।

By Debarghya Bhattacharya, Posted By : Moumita Bhattacharya

Oct 14, 2025 17:49 IST

समाचार एई समय, हावड़ा : हाल ही में दक्षिण बंगाल से बारिश विदा हुई है। अक्तूबर का महीना आधा हो चुका है लेकिन अभी तक सर्दियों का एहसास नहीं हुआ है। इसलिए रजाई-कंबल तो दूर चादर ओढ़ना भी किसी ने शुरू नहीं किया है। लेकिन भोर होते ही हावड़ा के रास्ते घने कोहरे से ढक जा रहे हैं। कोना एक्सप्रेसवे, आंदुल रोड, लिलुआ, सांतरागाछी, बेलिलियस रोड और शिवपुर इलाकों में सुबह के समय घना कोहरा छाया हुआ दिखाई दे रहा है।

भले ही कोहरे को देखकर किसी के मन में यह अहसास जरूर आ सकता है कि शायद हावड़ा में गुलाबी सर्दी ने अपनी दस्तक दे ही है लेकिन मौसम विभाग से मिली जानकारी लोगों को थोड़ी निराश जरूर कर सकती है। मौसम विभाग के अधिकारी बता रहे हैं कि इसका सर्दी से कोई संबंध नहीं है। उनकी आशंका है कि हावड़ा के वातावरण में धूल कणों की उपस्थिति अधिक हो गयी है। संभवतः भोर के समय घना कोहरा इसी बात का संकेत है। अचानक कोहरा छाना शुरू होने की वजह से गाड़ियों के ड्राइवरों को भी भारी परेशानी हो रही है।

कोना हाईरोड के निवासी संदीप अधिकारी का कहना है कि कुछ दिन पहले भोर में टहलने निकला तो देखा कि रास्ता कोहरे से ढका हुआ है। आसपास कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। बिल्कुल वैसे ही जैसे सर्दियों में दिखता है। अभी भी गर्मी कम नहीं हुई है। रात में पंखा चलाकर सोना पड़ रहा है। ऐसे में इतना कोहरा देखकर मैं तो घबरा ही गया था।

वायु प्रदूषण के कारण हावड़ा का शहरी इलाका कई बार सुर्खियों में आ चुका है। राज्य के प्रदूषित पांच शहरों में से एक हावड़ा है। डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में हावड़ा में सांस लेने में तकलीफ, एलर्जी, दमा की बीमारी आदि के मरीजों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। उन्होंने इसका मुख्य कारण अत्यधिक वायु प्रदूषण को ही बताया है। विशेषज्ञों का कहना है कि नियमित रूप से सड़कों की सफाई नहीं होना और अपर्याप्त कचरा प्रबंधन के कारण ही हावड़ा की हवा में धूल कणों की मात्रा बढ़ रही है। इसका प्रभाव केवल हावड़ा तक सीमित नहीं रहेगा। भविष्य में कोलकाता पर भी इसका असर पड़ेगा।

पर्यावरणकर्मी सुभाष दत्त कहना है कि हावड़ा शहर की सबसे बड़ी समस्या है सड़कों की धूल। शहर भर में निर्माण कार्य, पुराने घरों को गिराना और ठीक से रास्ते की सफाई नहीं होने से हवा में धूल कणों का स्तर बढ़ा रहा है। उनका कहना है कि प्राकृतिक नियम से सर्दी की शुरुआत में हवा थोड़ी भारी हो जाती है। इसलिए धूल के कण ऊपर नहीं उठ पाते हैं। इसी कारण यह कोहरा बनता है। इसके पीछे प्रकृति का जितना योगदान है, उससे ज्यादा भूमिका इंसान की है। इसका कारण यह है कि हम धूल के स्रोतों को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पाए हैं।

राज्य पर्यावरण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि हवा में धूल के कणों की मात्रा बढ़ जाने को लेकर हावड़ा नगर निगम को पहले ही सचेत कर दिया गया है। हवा में धूल के कणों की मात्रा को नियंत्रण में लाने के लिए नगर निगम को आवश्यक कदम उठाने को कहा गया है। इसमें शामिल है नियमित रूप से रास्ते का कचरा साफ करना, घरों को गिराने के मामले में सावधानी बरतना और स्प्रिंकलर मशीन का उपयोग करना। इसके लिए आवश्यक राशि भी आवंटित कर दी गयी है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सलाह मानकर हावड़ा शहर में बड़े रास्तों पर धूल कम करने के लिए स्वचालित स्वीपिंग मशीन का उपयोग करने का निर्णय नगर निगम के अधिकारियों ने लिया है। स्वीपिंग मशीन चलाने के लिए नगर निगम के पास कुशल कर्मचारी नहीं होने की वजह से पेशेवर एजेंसी को नियुक्त करने के बारे में भी विचार किया जा रहा है।

कचरा हटाने के काम में नए कॉम्पैक्टर स्टेशन बनाए जाएंगे। इसमें से एक द्वितीय हुगली ब्रिज के नीचे स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन के गैराज में बनेगा। एक और हावड़ा ब्रिज के ठीक सामने केपीटी क्वार्टर के सामने बन रहा है। कचरा ढोने के लिए जितनी भी पुरानी बैटरी से चलने वाली गाड़ियां (टिप्पर) थीं उनमें से 17 गाड़ियां खराब हो गयी हैं। उन्हें ठीक कराया जा रहा है।

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