अयोध्या: नदियों के संरक्षण में लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अयोध्या में डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में गंगा उत्सव मनाया गया। जल शक्ति मंत्रालय के सचिव वी. एल. कांत राव मुख्य अतिथि थे। सैकड़ों गंगा प्रहरी, स्थानीय लोग और छात्र-छात्राओं ने इसमें हिस्सा लिया। कार्यक्रम के बाद, राव ने मझा जमथरा क्षेत्र के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया। इसके बाद उन्होंने सरयू नदी के गुप्तार घाट पर मछलियों के बच्चे छोड़े, जो पर्यावरण संरक्षण और नदी पुनरुद्धार का प्रतीक है। शाम को उन्होंने नव विकसित घाट पर सरयू आरती की और लोगों से सरयू नदी को साफ और सुरक्षित रखने का आग्रह किया।
राव ने कहा कि गंगा सिर्फ एक नदी नहीं बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और लोगों के जीवन की रीढ़ है। उन्होंने बताया कि शहर का लगभग 80% गंदा पानी पहले साफ किया जाता है और बाकी का पानी अगले छह महीने में पूरी तरह से साफ किया जाएगा। गंगा और इसकी सहायक नदियां 11 राज्यों, 100 से अधिक शहरों और 150 जिलों में फैली हैं। गंगा संरक्षण के लिए कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं और प्रधानमंत्री खुद इस पर नजर रखते हैं। 100 प्रमुख शहरों में 200 से अधिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए हैं। अयोध्या को गंगा बेसिन का आदर्श शहर माना जा रहा है और सरयू नदी की पानी की गुणवत्ता उच्च स्तर पर है।
कार्यक्रम में दो रिपोर्ट भी जारी की गईं 'गंगा बेसिन में जलपक्षियों की स्थिति' और 'द्वीप पर घोंसले बनाने वाले पक्षियों की स्थिति'। ये रिपोर्ट दिखाती हैं कि गंगा केवल जल नहीं बल्कि एक जीवित पारिस्थितिक प्रणाली है। अयोध्या का गंगा उत्सव श्रद्धा, पर्यावरण जागरूकता और लोगों की जिम्मेदारी का संगम था। यह कार्यक्रम देशवासियों की गंगा और उसकी सहायक नदियों को बचाने की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।