गोरखपुर : उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों में राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम’ का पाठ अनिवार्य करने जा रही है। यह सभी कॉलेजों और स्कूलों में अनिवार्य होगा। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को इसकी घोषणा की है। मालूम हो कि वंदे मातरम गीत की रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने रचना की थी। गीत के प्रकाशन के 150 वर्ष 7 नवंबर 2025 को पूरे हो गए हैं। इसके उपलक्ष्य में राष्ट्रव्यापी उत्सव मनाया जा रहा है जो साल भर चलेगा।
ताकि भविष्य में कोई जिन्ना पैदा ना होः यहां ‘एकता यात्रा’ और ‘वन्दे मातरम’ सामूहिक गायन कार्यक्रम में भाग लेते हुए योगी ने कहा कि हम उत्तर प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में ‘वन्दे मातरम’ के पाठ को अनिवार्य करेंगे ताकि उत्तर प्रदेश का हर नागरिक भारत माता और मातृभूमि के प्रति सम्मान की भावना से परिपूर्ण हो। स्कूलों और कॉलेजों में वन्दे मातरम का पाठ अनिवार्य करना आवश्यक है। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता को कमजोर करने वाले कारकों की पहचान करना जरूरी है ताकि भविष्य में भारत की अखंडता को चुनौती देने वालों का मुकाबला किया जा सके। योगी ने कहा कि हमें उनका प्रभावी ढंग से मुकाबला करना होगा ताकि भविष्य में कोई जिन्ना पैदा न हो जो भारत की अखंडता को चुनौती दे।
सपा सांसद का विरोधः पूर्व सांसद डॉ.शफीकुर्रहमान बर्क के पौत्र संभल के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा कि इस गीत के खिलाफ हमारे दादा थे और हम भी हैं। वंदे मातरम में हमारे मजहब के खिलाफ शब्द हैं, इसलिए हम इस गीत को नहीं गाएंगे। हम राष्ट्रगान का पूरा सम्मान करते हैं और उसका गान भी करते हैं। वंदे मातरम कोई गान नहीं बल्कि गीत है। हमारा संविधान और सर्वोच्च न्यायालय भी यही कहता है। 1986 के केरल केस में जब तीन बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया था, तब यह कहा था कि यह गाने के लिए आप बाध्य नहीं कर सकते। मालूम हो डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने भी संसद में वंदे मातरम का विरोध किया था और सदन को छोड़कर बाहर आ गए थे।
‘वन्दे मातरम’ पर भाजपा का नजरिया और आरोप: भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस ने 1937 में मूल वंदे मातरम् गीत के कुछ छंद हटाए, विशेषकर जिनमें हिंदू देवी-देवताओं (जैसे मां दुर्गा) का गुणगान था। यह 'तुष्टिकरण की राजनीति' थी, जिसने राष्ट्रीय गौरव और देशभक्ति की भावना को कमजोर किया। जबकि वंदे मातरम् राष्ट्रीय एकता और देशभक्ति का प्रतीक है। गीत का संक्षिप्त संस्करण अपनाना एक ऐतिहासिक भूल थी। नेहरू के पत्रों का हवाला देते हुए कहा जाता है कि कुछ अंश मुसलमानों को परेशान कर सकते हैं।
‘वन्दे मातरम’ पर कांग्रेस क्या कहती है?: कांग्रेस का कहना है कि भाजपा और आरएसएस ने कभी भी वंदे मातरम् का उचित सम्मान नहीं किया। वंदे मातरम् भारत माता का अमर गीत और स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक रहा है। गीत के केवल पहले दो पद ही राष्ट्रीय गीत के रूप में औपचारिक रूप से स्वीकार किए गए ताकि सभी समुदायों की भावनाओं का सम्मान हो। यह निर्णय राष्ट्रीय नेताओं की सर्वसम्मति से लिया गया ताकि स्वतंत्रता संग्राम और साम्राज्यवाद-विरोधी संदेश को मजबूत किया जा सके।