भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता में एक नया अध्याय जुड़ गया है क्योंकि, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की फैक्ट्री में तैयार व भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से बनाई गई इन ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 18 अक्टूबर को लॉन्च करेंगे। लखनऊ के भटगांव में स्थापित ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण इकाई में ये मिसाइलें तैयार की जा रही हैं।
बता दें कि इस साल 11 मई को रक्षा मंत्री ने लखनऊ के भटगांव में ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण इकाई का उद्घाटन किया था। 300 करोड़ रुपये की लागत से 80 एकड़ में फैली इस इकाई में हर साल 80 से 100 मिसाइलें बनाने का लक्ष्य है। भविष्य में इस क्षमता को बढ़ाकर 150 मिसाइलें प्रति वर्ष करने की योजना है। यह इकाई भारत की रक्षा क्षमता को और मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगी।
ब्रह्मोस मिसाइल की खासियतः
ब्रह्मोस मिसाइल अपनी अचूक निशाने और तेज रफ्तार के लिए जानी जाती है। हाल ही में ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल पाकिस्तान के कई एयर बेस को ध्वस्त कर दिया था। यह ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज (मैक 3) चलती है। ब्रह्मोस मिसाइल 290 से 400 किलोमीटर तक दुश्मन के ठिकानों को नष्ट कर सकती है। इसे जमीन, हवा और समुद्र से लॉन्च किया जा सकता है। यह मिसाइल एक बार छोड़ने के बाद स्वचालित रूप से अपने लक्ष्य को भेद देती है। दुश्मन के रडार को चकमा देकर सटीक निशाना लगाने में सक्षम है।
महत्व: यह सुविधा भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगी और ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
पहली खेप का लॉन्च: मिसाइल की पहली खेप का औपचारिक लॉन्च 18 अक्टूबर को होगा, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल होंगे।
प्रौद्योगिकी: इस इकाई में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के विभिन्न संस्करणों का उत्पादन किया जाएगा, जो ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज है।
अन्य योगदान: लखनऊ में ही एक निजी कंपनी, पीटीसी इंडस्ट्रीज, ब्रह्मोस के लिए आवश्यक टाइटेनियम और सुपर अलॉय के महत्वपूर्ण कंपोनेंट बनाने वाली देश की पहली कंपनी बन गई है।