54 साल बाद श्री बांके बिहारी मंदिर का खजाना खोला गया, लेकिन रहस्य और गहरा गया है। दूसरे दिन की कार्रवाई में सिर्फ एक सोने की और तीन चांदी की छड़ियां और कुछ तांबे के सिक्के मिले हैं। जिनमें से सोने की छड़ी पर गुलाल लगा हुआ था।
उत्तर प्रदेश के मथुरा के ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के तहखाने को रविवार से दूसरे दिन खोलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। गौरतलब है कि पहले दिन ठाकुर मंदिर के तहखाने को खोला गया, तो वहां काफी ज्यादा हलचल देखने को मिली। एक तरफ जहां गोस्वामी समाज ने इसका विरोध किया तो दूसरी तरफ तहखाना में कमेटी को और जांच टीम को कुछ भी हाथ नहीं लगा था। फिर लोगों की निगाहें बांके बिहारी मंदिर के तहखाने की तरफ लगी हैं। लोगों में यह देखने की कौतूहल है कि आज तहखाने में क्या-क्या हाथ लगता है। कल बड़ी संख्या में लोग और पुलिस मौके पर मौजूद रही।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनाई गई हाई पावर्ड कमेटी ने 54 साल पहले बंद पड़े खजाने को खोलने के निर्देश दिए थे। इसके बाद खजाने को खोलने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया था। समिति के निर्देशन में कल यह कार्यवाही हुई, जो लगभग 4 घंटे तक चली थी। पहले दिन जब तहखाना खोला गया तो उसमें कुछ बर्तन, लकड़ी का सिंहासन और बक्से मिले हैं, जिनमें कुछ बर्तन भक्तों के थे। समय कम रहने के चलते ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के तहखाने को बंद कर दिया गया था और उसकी जांच की प्रक्रिया आगे के लिए बढ़ा दी गई थी लेकिन देर रात को हुए आदेश के बाद 19 अक्टूबर को एक बार फिर तहखाना खोला गया।
दूसरे दिन मिले ये समान
बांके बिहारी मंदिर परिसर में दूसरे दिन भी खजाने के कमरे को खोलने की प्रक्रिया खत्म हो गई है। हाई पावर्ड कमेटी के सदस्य दिनेश गोस्वामी ने बताया कि आज निर्धारित समय पर खजाने की पूरी जांच और सूचीकरण (इन्वेंटरी) का कार्य पूरा कर लिया गया है। इस दौरण एक तिजोरी में 1942 के आसपास के दो तांबे के सिक्के मिले हैं, जबकि दूसरी तिजोरी में वाले पुराने सिक्के पाए गए। इसके अलावा एक बक्से में 3 चांदी की छड़ियां और एक सोने की छड़ी मिली है, जिस पर गुलाल लगा हुआ था। दिनेश गोस्वामी ने बताया ने बताया कि नीचे के कमरे की भी पूरी तलाशी ली गई, लेकिन वहां कुछ भी नहीं मिला। अब खजाने का कमरा पूरी तरह से खाली हो चुका है। सभी वस्तुओं की फोटोग्राफिक डाक्यूमेंटेशन और इन्वेंटरी लिस्ट तैयार कर ली गई है।
कहां गायब हो गया मंदिर का खजाना
श्री बांकेबिहारी मंदिर परिसर में 54 साल बाद खोला गया था लेकिन अब यह खजाना अब सवालों के घेरे में आ गया है। हाई पावर्ड कमेटी के सदस्य दिनेश गोस्वामी ने कहा कि खजाना तो खुल गया, लेकिन यह सवाल जरूर छोड़ गया कि आखिर सारी चीजें कहां गईं ? गोस्वामी ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब संदूकों में सिर्फ खाली डिब्बे मिले और मूल्यवान वस्तुएं गायब हैं, तो यह गंभीर मामला है। उनका कहना है कि वह अगली बैठक में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगे और अध्यक्ष से औपचारिक रूप से जांच कराने की मांग करेंगे। 54 साल बाद खुले इस खजाने में पुराने बर्तन और एक छोटा चांदी का छत्र ही मिला था, जबकि पहले यहां कीमती आभूषणों और धातु के सामान के होने की बात कही जाती थी।
54 साल बाद खुला था तहखाने का दरवाजा
बांके बिहारी मंदिर परिसर में स्थित खजाना अंतिम बार 1971 में खुला था। 54 वर्ष से यह खजाना बंद था। हालांकि जब 1971 में यह खजाना खुला तब सारा सामान एक बक्से में बंद कर भारतीय स्टेट बैंक के लाकर में रख दिया गया था। ऐसे में जब शनिवार को 54 वर्ष बाद खजाना खोला गया तो उसमें पुराने बर्तन और एक छोटा चांदी का छत्र ही मिला। शनिवार को मिले लोहे के चार संदूक में दो ही खोले गए थे। जबकि एक लकड़ी का पुराना संदूक भी खोला गया था, जिसमें ज्लैवरी के खाली बाक्स मिले थे।