रांचीः झारखंड के चाईबासा में थैलेसीमिया से पीड़ित 5 बच्चों को एचआईवी संक्रमित (HIV positive) खून चढ़ाने का मामला प्रकाश में आया है। यह मामला सामने आने के बाद झारखंड में भारी नाराज़गी फैल गई है। लोगों ने सवाल उठाया है कि खून की जांच प्रक्रिया में इतनी बड़ी गलती कैसे हुई और बच्चों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी किसकी है।
दोषी अधिकारियों पर प्राथमिकी व स्वास्थ्य मंत्री से इस्तीफे की मांगः एएनआई के अनुसार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता प्रतुल शाह देव ने मामले को गंभीर लापरवाही करार देते हुए तत्काल स्वास्थ्य मंत्री से इस्तीफे की भी मांग की है। शाह देव ने कहा कि थैलेसीमिया से पीड़ित 5 बच्चों को एचआईवी पॉजिटिव खून चढ़ाना बहुत बड़ी लापरवाही है, जिससे बच्चों की ज़िंदगी खतरे में पड़ गई। उन्होंने कहा कि एड्स (AIDS) का कोई इलाज नहीं है, इसलिए यह गलती माफ़ भी माफी के लायक नहीं है। पूरे मामले की तुरंत जांच और जिम्मेदार सभी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए। शाह देव ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर औपचारिक कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए पूछा कि क्या एक बच्चे की ज़िंदगी की कीमत सिर्फ 2 लाख रुपये है? आप केवल कुछ अधिकारियों को निलंबित करके दिखावा कर रहे हैं।
सरकार ने की आर्थिक सहायता और निलंबन की घोषणाः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घोषणा की है कि प्रभावित परिवारों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी और संक्रमित बच्चों का इलाज मुफ्त कराया जाएगा। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा- 'चाईबासा में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को संक्रमित खून चढ़ाने की खबर के बाद पश्चिम सिंहभूम के सिविल सर्जन और अन्य संबंधित अधिकारियों को निलंबित करने के निर्देश दिए गए हैं।’
तीन अधिकारी निलम्बितः झारखंड सरकार ने तीन अधिकारियों को निलम्बित कर दिया है, जिनमें चाईबासा के सिविल सर्जन, सदर अस्पताल के एचआईवी यूनिट प्रभारी डॉक्टर और तकनीशियन शामिल हैं। जांच में यह पुष्टि हुई कि थैलेसीमिया से पीड़ित एक बच्चे में एचआईवी संक्रमण पाया गया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने घटना को बताया अत्यंत गंभीर बतायाः झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि यह घटना दो दिन पहले सामने आई और यह एक 'बेहद गंभीर मामला' है। मैंने इस पर तुरंत उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।
उच्च स्तरीय जांच समिति गठित: स्वाथ्यमंत्री ने बताया कि एक उच्च स्तरीय जांच समिति बनाई गई है, जो एक सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट पेश करेगी। समिति को निर्देश दिया गया है कि यह स्पष्ट किया जाये कि संक्रमित खून ब्लड बैंक से आया था या किसी बाहरी स्रोत से।