लोकसभा में निजी सदस्य विधेयकों ने फिर से उठाए श्रम अधिकार और सामाजिक न्याय के मुद्दे

लोकसभा में पेश हुए निजी सदस्य विधेयक: कर्मचारियों का ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ और महिलाओं के मासिक धर्म लाभ पर जोर

By श्वेता सिंह

Dec 05, 2025 23:43 IST

नई दिल्ली। लोकसभा में शुक्रवार को कई महत्वपूर्ण निजी सदस्य विधेयक पेश किए गए, जिनमें कर्मचारियों को काम के बाद कॉल और ई-मेल का जवाब न देने का अधिकार देने से लेकर महिलाओं के लिए मासिक धर्म लाभ और देश में मृत्युदंड समाप्त करने जैसे संवेदनशील मुद्दे शामिल हैं।

राष्ट्रीयवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की सांसद सुप्रिया सुले ने ‘Right to Disconnect Bill, 2025’ पेश किया, जिसमें हर कर्मचारी को ऑफिस आवर्स के बाद और छुट्टियों के दौरान काम से जुड़े फोन कॉल और ई-मेल का जवाब न देने का कानूनी हक देने का प्रस्ताव है।

यह बिल कर्मचारियों के हित में एक वेलफेयर अथॉरिटी बनाने की भी बात करता है, जो काम और निजी जीवन के संतुलन को सुनिश्चित करेगी।

कांग्रेस सांसद कडियम काव्या ने ‘Menstrual Benefits Bill, 2024’ पेश किया, जिसका उद्देश्य कार्यस्थलों पर महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान विशेष सुविधाएं और लाभ उपलब्ध कराना है।

यह विधेयक कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए एक स्पष्ट और सुरक्षित कानूनी ढांचा तैयार करने की मांग करता है। कांग्रेस के ही सांसद माणिकम टैगोर ने एक बिल पेश किया जिसमें तमिलनाडु को NEET से छूट देने का प्रस्ताव है।

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने राष्ट्रपति द्वारा NEET-छूट कानून को मंजूरी न देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

DMK सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने देश में मृत्युदंड को पूरी तरह खत्म करने का बिल पेश किया। हालांकि वर्षों से मृत्युदंड हटाने की मांग होती रही है, केंद्र सरकारें इसे गंभीर अपराधों में जरूरी मानती आई हैं। क़रीब एक दशक पहले कानून आयोग ने भी आतंकवाद के मामलों को छोड़कर मृत्युदंड खत्म करने की सिफारिश की थी।

सामान्यतया निजी सदस्य विधेयकों पर सरकार के जवाब के बाद केवल कुछ ही विधेयक आगे बढ़ पाते हैं, बाकी वापस ले लिए जाते हैं, लेकिन आज लोकसभा में पेश हुए प्रस्तावों ने श्रम अधिकारों और सामाजिक न्याय के मुद्दों को फिर से सुर्खियों में ला दिया है।

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