वाम दल बिहार में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहता है, राजद को मंजूर नहीं

बिहार में इंडिया ब्लॉक के भीतर पिछले विधानसभा चुनावों में सीपीआई (एम) लिबरेशन के नेतृत्व वाले लेफ्ट का स्ट्राइक रेट कांग्रेस से कहीं बेहतर है।

By Prasenjit Bera, Posted by: Shweta Singh

Oct 10, 2025 13:33 IST

एई समय: बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों पर इंडिया ब्लॉक गठबंधन में लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली राजद के सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की उम्मीद है। सीटों के बंटवारे के मामले में भी राजद के बाद कांग्रेस के दूसरे स्थान पर रहने की उम्मीद है।

हालांकि बिहार में इंडिया ब्लॉक के भीतर भाकपा (माले) (लिबरेशन) के नेतृत्व वाला वाम दल इस बार ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहता है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनावों में उसका स्ट्राइक रेट कांग्रेस से काफी बेहतर था। हालांकि राजद इस पर सहमत नहीं है। वे अभी तक वामपंथियों द्वारा पांच साल पहले छोड़ी गई सीटों से ज्यादा सीटें लेने पर राजी नहीं हुए हैं। ऐसे में तेजस्वी यादव के साथ लिबरेशन, भाकपा और माकपा के बीच सीटों के बंटवारे पर टकराव जारी है।

2020 के विधानसभा चुनाव में लिबरेशन ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा और 12 सीटें जीतीं। सीपीएम ने 4 सीटों पर चुनाव लड़ा और 2 सीटें जीतीं और सीपीआई ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा और 2 सीटें जीतीं। कुल मिलाकर लेफ्ट ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ा और 16 सीटें जीतीं। इसी स्ट्राइक रेट के चलते इस बार लिबरेशन खुद 19 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की सोच रही है और लेफ्ट कुल मिलाकर 35-40 सीटों पर चुनाव लड़ने की सोच रही है।

माकपा (लिबरेशन) की केंद्रीय समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य पार्थ घोष ने कहा, "पिछले विधानसभा चुनावों के नतीजों के आधार पर हम कुछ अतिरिक्त सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन राजद अभी तैयार नहीं है। हम नहीं चाहते कि सीटों के समझौते को लेकर कोई भी जटिलता भारत गठबंधन को प्रभावित करे। बातचीत अभी जारी है।"

वाम नेतृत्व ने कहा कि राजद वामपंथियों को अतिरिक्त सीटें देने को तैयार नहीं है बल्कि लिबरेशन द्वारा जीती गई सीटों में बदलाव करना चाहता है। दीपांकर भट्टाचार्य की पार्टी तेजस्वी के प्रस्ताव को मानने को तैयार नहीं है। लिबरेशन का जनाधार कौरी, कुर्मी और दलित वर्ग के लोग हैं। वर्तमान में लिबरेशन के बिहार से 2 सांसद हैं। झारखंड में भी इसके 2 विधायक हैं। वे 2000 से लगातार सीटों की संख्या बढ़ाने में सफल रहे हैं।

लिबरेशन के इस जनाधार के चलते राजद नेतृत्व के लिए दीपांकर भट्टाचार्य के प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज करना मुश्किल है। इसी स्थिति के चलते सीपीएम महासचिव एमए बेबी पटना आ रहे हैं। उन्होंने सीपीआई के बिहार नेतृत्व से मुलाकात की है। लिबरेशन नेतृत्व से भी उनकी मुलाकात हो सकती है। वाम नेतृत्व राजद-कांग्रेस के साथ सीट समझौते को लेकर चल रही उलझनों को आपस में बातचीत करके सुलझाने की कोशिश कर रहा है।

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