मैं अपने परिवार से नाता तोड़ रही हूं... लालू की बेटी रोहिणी का एक्स पर पोस्ट, पराजय का असर

By तुहीना मंडल, Posted by: लखन भारती.

Nov 15, 2025 17:27 IST

रोहिणी आचार्य ने राजनीति छोड़ने की बात करने के साथ ही एक बार फिर संजय यादव पर निशाना साधा है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि ये सब कुछ संजय यादव के कहने पर ही कर रही हूं।

बिहार चुनाव परिणाम में महागठबंधन की करारी हार का असर अब इस गठबंधन की पार्टियों पर साफ तौर पर दिखने लगा है। इस हार के साथ ही लालू प्रसाद यादव के परिवार के भीतर का कलह भी अब और तेजी से बाहर आने लगा है। शनिवार को लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर कहा कि मैं सारा दोष अपने ऊपर लेती हूं। उन्होंने अपने इस पोस्ट में संजय यादव और रमीज का जिक्र किया है। रोहिणी आचार्य के इस सोशल मीडिया पोस्ट के बाद RJD के अंदर की कलह औऱ बढ़ने की आशंका है।

आपको बता दें कि रोहिणी आचार्य ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि मैं राजनीति छोड़ रही हूं। साथ ही मैं अपने परिवार से भी नाता तोड़ रही हूं। मुझे संजय यादव और रमीज ने जो कुछ करने के लिए कहा है मैं वही कर रही हूं। मैं सभी दोष अपने ऊपर ले रही हूं।

लालू प्रसाद यादव के परिवार के अंदर चल रही कलह की कहानी कोई नई नहीं है। इस बार के चुनाव से पहले भी लालू यादव परिवार के बीच की खींचतान बाहर आई थी। उस दौरान तेज प्रताप यादव ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से खुदको अलग करते हुए अपनी अलग पार्टी बनाई थी। RJD से खुदको अलग करने के बाद तेज प्रताप यादव ने कहा था कि उनके पिता की पार्टी को कई जयचंदों ने हाईजेक कर लिया है।

कुछ समय पहले ही खबर आई थी कि रोहिणी तेजस्वी के साथी संजय यादव की हरकतों से नाराज क्यों हैं ? ऐसा कहा जा रहा था कि रोहिणी कह रही थीं कि संजय यादव को आप सांसद या विधायक बना दीजिए, लेकिन लालू जी कुर्सी पर नहीं बैठा सकते, बस यही बात रोहिणी की नाराजगी का कारण था। यही बात इनके समर्थकों को भी नागवार गुजरा और लालू परिवार का विवाद अब सड़कों पर देखने को मिल रही थी। तेजस्वी की मौजूदगी में ही रोहिणी जिंदाबाद के नारे लगाए जा रहे थे।

यह भी बता दें कि राहिणी ने ही अपनी एक किडनी अपने पिता लालू प्रसाद यादव को दान की थी। यह बात 2022 की है। साल 2024 में उसे आरजेडी से उम्मीदवार भी बनाया गया था लेकिन हार गयी थीं। इस बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी को मात्र 25 सीटें ही मिली हैं। जबकि पिछले चुनाव में आरजेडी को 75 सीटें मिली थीं। एक तरफ पार्टी का बुरी तरह से हारना, दूसरी तरफ परिवार में कलह। पार्टी के लिए भी यह अच्छा साबित नहीं हो सकता है।

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