राजनीति छोड़ेंगे या चुनाव की ‘भविष्यवाणी’ करना बंद करेंगे? पीके के लिए क्यों ‘ऑल इज नॉट वेल’ नहीं है?

ऑल इज वेल? नहीं, बिल्कुल नहीं। चुनाव हार गए हैं। उनकी पार्टी को करारी हार मिली। उनकी भविष्यवाणी भी पूरी नहीं हुई। अब क्या होगा?

By कौशिक भट्टाचार्य, Posted by: श्वेता सिंह

Nov 15, 2025 22:09 IST

पांच साल का वक्त बीत चुका है। इस बीच बहुत कुछ बदला है। यहां तक कि प्रशांत किशोर खुद भी बदल गये हैं। बिहार चुनाव के नतीजे आने के बाद राजनीतिक हलकों में प्रशांत की दो भविष्यवाणियों पर जोरदार चर्चा हो रही है। कुछ लोग तो तंज कसते हुए पूछ रहे हैं, “अब क्या पीके राजनीति छोड़ेंगे?” वहीं कुछ कह रहे हैं, “ न जाने चुनाव रणनीतिकार का काम छोड़कर राजनीति में क्यों आ गए?”

2020 का उदाहरण

दिसंबर 2020। पूरे पश्चिम बंगाल में उत्साह की लहर थी। अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उस समय कई राजनीतिक विश्लेषक मान रहे थे कि भाजपा को बढ़त मिलेगी। लेकिन प्रशांत किशोर उनके साथ सहमत नहीं हुए। उस समय वह चुनावी रणनीतिकार माने जाते थे।

उन्होंने साफ कहा था, “भाजपा 100 सीटें भी नहीं जीत पाएगी। अगर जीत गई, तो मैं काम छोड़ दूंगा।” उनकी बात सही साबित हुई। शुभेंदु अधिकारी और अन्य भाजपा नेताओं की तमाम कोशिशों के बाद भाजपा केवल 77 सीटों पर सिमट गयी।

2025 बिहार चुनाव में भी भविष्यवाणी की

जून 2025 में बिहार चुनाव से पहले प्रशांत किशोर ने एक और भविष्यवाणी की। अब वह चुनाव रणनीतिकार नहीं रह गये थे। एक राजनीतिक दल बना कर वह खुद चुनावी मैदान में उतर गए। उस समय कई सर्वेक्षण भाजपा-जेडीयू-एनडीए को आगे दिखा रहे थे।

लेकिन प्रशांत किशोर ने कहा, “लिख लीजिए, नीतीश कुमार की पार्टी जदयू अपने दम पर 25 सीटें भी नहीं जीत पाएगी। अगर जीत गई, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। चुनाव के बाद जेडीयू का अस्तित्व पर भी सवाल उठने लगेगा।”

हालांकि नीतीश कुमार की जेडीयू ने 25 सीटें नहीं बल्कि 85 सीटों पर जीत हासिल कर ली है।

बार-बार की भविष्यवाणी और गलत साबित हुए

प्रशांत किशोर ने कई बार दावा किया कि नीतीश की पार्टी जदयू 25 सीटें भी नहीं जीत पाएगी। उन्होंने NDTV को दिए इंटरव्यू में कहा, “सब जानते हैं कि नीतीश कुमार की शारीरिक और मानसिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह बिहार के लिए कुछ नया कर पाएंगे। अगर राष्ट्रीय गान और क़व्वाली का फर्क नहीं समझ सकते, अपने शरीर का ख्याल नहीं रख सकते तो बिहार का ख्याल कैसे रखेंगे?”

जनसुराज के सर्वेक्षण में उन्होंने दावा किया कि 62 प्रतिशत लोग बदलाव चाहते हैं।

अपनी पार्टी पर की गयी भविष्यवाणी सही साबित हुई

अपनी पार्टी को लेकर की गई भविष्यवाणी प्रशांत किशोर के अनुसार सही साबित हुई। चुनाव से पहले उन्होंने कई इंटरव्यू में कहा, “अर्श पे या फर्श पे।”

उन्होंने अपनी पूरी ताकत से चुनाव लड़ा। प्रचार में रोजगार और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया। उन्होंने जनता को सत्ता में आने पर किए जाने वाले काम का पूरा खाका भी समझाया। लेकिन शुक्रवार को चुनाव परिणाम आने के बाद उनकी पार्टी को केवल 2 प्रतिशत वोट मिले। उनकी पार्टी कोई सीट नहीं जीत पायी।

प्रशांत किशोर का दृष्टिकोण

प्रशांत किशोर के X हैंडल की बायो में लिखा है, “गांधी को श्रद्धा, परंपरागत नियमों का पालन नहीं, समता में विश्वास, मानवतावादी, जनता की सम्मिलित प्रज्ञा में विश्वास।”बिहार चुनाव के परिणाम आने के 24 घंटे बीत गए, लेकिन अब तक उन्होंने कोई बयान नहीं दिया है। भविष्य में वे क्या कदम उठाएंगे? क्या राजनीति छोड़ेंगे? एक बात तो साफ है कि प्रशांत किशोर के लिए सब कुछ ‘ऑल इज वेल’ नहीं है।

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