मतदाता सूची से बाहर हुए लोगों को मुफ्त में मिलेगी कानूनी मदद, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

बिहार में लगभग 3.66 लाख मतदाताओं के नाम अंतिम मतदाता सूची से बाहर कर दिए गए हैं

By Himadri Sarkar, Posted by: Shweta Singh

Oct 10, 2025 17:11 IST

एई समय।'भावना बहुत ज्यादा, पर तर्क बहुत कम' - बिहार में मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से जुड़े मामले में याचिकाकर्ताओं के बारे में यह सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी है। गुरुवार को हुई सुनवाई में शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को सवालों से लगभग घेर लिया। न्यायमूर्ति बागची ने पूछा, 'जिन लोगों के नाम कथित तौर पर गलत तरीके से अंतिम सूची से बाहर कर दिए गए थे, उन्होंने अपील क्यों नहीं की?'

हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले का नतीजा जो भी हो उन लोगों के अपील के अधिकार को सुनिश्चित करना जरूरी है जिनके नाम अंतिम मतदाता सूची से बाहर होने का दावा किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद अंतिम मतदाता सूची से बाहर हो गए करीब 3.66 लाख लोगों को समयसीमा के भीतर अपील दाखिल करने का इंतजाम कर दिया है। विधिक सेवा अथॉरिटी के पैरा लीगल वालंटियर और मुफ्त कानूनी सहायता देने वाले वकील अपील दाखिल करने में लोगों की मदद करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है, "वे अंतिम मतदाता सूची से बाहर किए गए लोगों के बारे में जानकारी एकत्र करेंगे और उन्हें अपील का मसौदा तैयार करने में मदद करेंगे और मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करेंगे।"

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं का दावा है कि बिहार में लगभग 3.66 लाख मतदाताओं के नाम अंतिम मतदाता सूची से बाहर कर दिए गए हैं और वे अपील करने में असमर्थ हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि चुनाव आयोग ने औपचारिक रूप से बहिष्कार का कोई नोटिस जारी नहीं किया है। उनका तर्क है कि यह चुनाव आयोग के नियमों का गंभीर उल्लंघन है। याचिका दायर करने वाले गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स के वकील प्रशांत भूषण ने कहा, "वे (चुनाव आयोग) उन लोगों के बारे में जानकारी नहीं दे रहे हैं जिन्हें मसौदा सूची से बाहर कर दिया गया है... जबकि उनके पास इतनी तकनीक है। नतीजतन, हमारा बहुत समय बर्बाद कर रहे हैं।"

मंगलवार को हुई नवीनतम सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने आज अदालत में लगभग 100 लोगों को पेश किया – जिनके बारे में उनका दावा है कि उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं लेकिन उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया है।

आयोग का प्रतिवाद यह है कि जिन लोगों के नाम हटाए गए हैं, उन सभी को नोटिस भेजे जा चुके हैं। आयोग ने याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर हलफनामों की प्रामाणिकता पर भी सवाल उठाया। हालांकि चुनाव आयोग ने याचिकाकर्ताओं द्वारा दी गई जानकारी की पुष्टि के लिए समय मांगा है। अदालत को बताया गया कि मतदाता सूची 17 अक्टूबर को 'फ्रीज' कर दी जाएगी – उस दिन नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि। मतदान 6 नवंबर से शुरू होगा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने याचिकाकर्ताओं से कहा, "अगर कोई निश्चित समय नहीं है... तो हम मामले पर विचार करेंगे।" अदालत ने आश्वासन दिया कि अगर इन लोगों की मतदाता सूची में शामिल होने की याचिकाएं एक बहुत ही संक्षिप्त, एक-पंक्ति के आदेश के साथ खारिज कर दी जाती हैं... तो हम उस पर भी विचार करेंगे।"

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