बिहार चुनाव की तारीखों की घोषणा होते ही राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई। सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा को केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने साफ़ चेतावनी दी है।
बुधवार को सार्वजनिक रूप से गुस्सा जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, '15 सीटें नहीं मिलीं तो लड़ेंगे नहीं।'
बिहार में 243 सीटों में से बीजेपी और जेडीयू 100 सीटों पर लड़ना चाहते हैं। बाकी सीटें चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और प्राचीन केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा में बांटी जाएंगी, ऐसा एनडीए के शीर्ष नेतृत्व की योजना है लेकिन इसमें जीतन या चिराग में से कोई भी राजी नहीं है।
इस स्थिति में हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (सिक्युलर) के सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री का दावा है कि एनडीए उन्हें नजरअंदाज कर रहा है। उन्हें अपमानित महसूस हो रहा है। दूसरी ओर, चिराग कम से कम 35 सीटों पर लड़ना चाहते हैं।
जीतनराम का स्पष्ट कहना है कि अगर उन्हें 15 सीटें नहीं मिलती हैं तो वे विधान सभा चुनाव में नहीं लड़ेंगे। वे कहते हैं, 'हम हमेशा से NDA का समर्थन करते आए हैं। हमें सम्मान देना भी उनका कर्तव्य है। अगर हमें 15 सीटें मिलती हैं तो हम कम से कम 8 से 9 सीटें जीतेंगे।'
लेकिन अगर 15 सीटें नहीं मिलती हैं? इसका भी विचार जीतनराम मांझी ने किया है। वे कहते हैं, 'हमारा प्रभाव 60 से 70 सीटों पर है। हम इसे काम में लाएंगे।' उन्होंने कहा कि उन्हें चिराग के बारे में कोई आपत्ति नहीं है।
जीतन राम मांझी ने एक ट्वीट किया है और ये ट्वीट सीधा सीटों की चाहत जाहिर कर रहा है। जीतन राम मांझी ने दिनकर की एक कविता शेयर की है। जीतन राम मांझी ने ट्वीट में लिखा है कि-“हो न्याय अगर तो आधा दो, यदि उसमें भी कोई बाधा हो, तो दे दो केवल 15 ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम, HAM वही ख़ुशी से खाएंगें, परिजन पे असी ना उठाएँगे”। उन्होंने ये भी कहा कि एनडीए से कहीं कोई नाराजगी नहीं है। मैं सिर्फ अपना हक मांग रहा हूं। उन्होंने कहा कि सीट शेयरिंग को लेकर हम लोग एनडीए के नेताओं से आग्रह कर रहे हैं। आज हम यही कह रहे हैं कि 60 प्रतिशत स्कोरिंग सीट लाएं तो आठ सीट जीतकर आएं। इसलिए हम 15 सीट मांग रहे हैं।
दरअसल कहा ये भी जा रहा है कि ये सीट शेयरिंग पहले ही हो जाता लेकिन बात ना बन पाने की वजह से सीट शेयरिंग में दिक्कत आ रही है। बीजेपी और जेडीयू के बीच अभी इसको लेकर किसी भी तरह की खींचतान नहीं है लेकिन चिराग की पार्टी, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी और जीतन राम मांझी की पार्टी से कोई बात नहीं बन पा रही है। आपको बता दें कि एनडीए के अंदर पहले ही चिराग पासवान की सीट डिमांड को लेकर पेच फंसा हुआ है, अब मांझी की यह सख्त बयानबाजी बीजेपी के लिए नई चुनौती लेकर आई है।