पटनाः एक-दो नहीं, बिहार के 13 प्रतिशत बूथों में पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थिति खराब है। यह चौंकाने वाली यह जानकारी पार्टी के ताजा आंतरिक सर्वेक्षण में सामने आई है।
नई दिल्ली में पार्टी सूत्रों ने बताया है कि इस सर्वेक्षण रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बिहार के 90,712 बूथों में से 12,000 बूथों में पार्टी की संगठनात्मक शक्ति अत्यंत 'कमजोर' है। इनमें सबसे अधिक बूथ अल्पसंख्यक निवासी बहुल सीमावर्ती क्षेत्रों में हैं।
सूत्रों का दावा है, यह आंतरिक सर्वेक्षण रिपोर्ट सामने आने के बाद भाजपा का शीर्ष नेतृत्व रातोंरात डैमेज कंट्रोल में जुट गया है। इन 12,000 कमजोर प्रत्येक बूथ पर 12-12 पार्टी प्रतिनिधि नियुक्त किए गए हैं। ये सभी प्रतिनिधि सभी बूथों के मतदाताओं के साथ प्रत्यक्ष संपर्क करेंगे और उन्हें डबल इंजन सरकार की सफलता की बात समझाने की कोशिश करेंगे।
साथ ही वे बीते पांच वर्षों में मोदी सरकार की उल्लेखनीय जनकल्याणकारी परियोजनाओं की जानकारी देंगे। इन परियोजनाओं के माध्यम से आम नागरिकों को कौन-कौन से फायदे हुए हैं, इस विषय में जनता के सामने सरकारी आंकड़े भी पेश करेंगे। इनके अलावा भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रतिनिधि भी मैदान में उतर रहे हैं। उनके प्रतिनिधि भी सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित इन 12,000 बूथों के मतदाताओं के पास सकारात्मक संदेश पहुंचाएंगे।
दिल्ली में भाजपा सूत्रों का दावा है कि पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी पहले से ही सीमावर्ती क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं। इस क्षेत्र के जिन बूथों में भाजपा की संगठनात्मक शक्ति कमजोर होने का दावा ऐसा पार्टी सर्वेक्षण में किया गया है, जमाल सिद्दीकी और उनके साथी भाजपा नेता उन सभी बूथों के निवासी अल्पसंख्यक मतदाताओं से मिल रहे हैं। इस मामले में घर-घर प्रचार पर अधिक जोर दिया जा रहा है।
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के नेता राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में पूरे बिहार में किस तरह 'जंगलराज' का प्रभाव फैला था, उसका ब्यौरा भी देंगे। वे सीमावर्ती क्षेत्र के निवासियों को समझायेंगे कि निकट भविष्य में ऐसे दिन फिर वापस ना आयें और पूरे बिहार में 'सुशासन' बना रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए बिहार में एनडीए की डबल इंजन सरकार जरूरी है।