देश के लिए एशियाई खेल, ओलंपिक क्वालीफिकेशन सहित कई बड़े मीट में उतरकर उनके नाम 6 अंतरराष्ट्रीय पदक हैं।
एक ही खेल में एक ही दिन मां और बेटी मुकाबले के लिए उतरेगी! भारतीय खेलों में ऐसा उदाहरण लगभग नहीं है। शुक्रवार को खुदीराम अभ्यास केंद्र में ऐसा ही एक घटना होने वाली है। खेल इंडिया अस्मिता वेटलिफ्टिंग लीग में महिलाओं के 58 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक की लड़ाई में 18 साल की राज्यश्री हलदार उतरेंगी। उसके बाद 69 किलोग्राम वर्ग में उनकी मां राखी हलदार उतरेंगी। राखी का नाम वेटलिफ्टिंग क्षेत्र में अत्यंत परिचित है। क्योंकि लगभग पाँच साल पहले उन्होंने कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग में स्वर्ण पदक जीता था। देश के लिए एशियन गेम्स, ओलंपिक क्वालिफायर सहित कई बड़े टूर्नामेंट में उतरने के बाद उनके पास 6 अंतरराष्ट्रीय पदक हैं।
अब तो निश्चित रूप से अपनी रिकॉर्ड या पदकों से अपनी बेटी राज्यश्री को अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलक बनाने का लक्ष्य राखी का एकमात्र उद्देश्य है। इसलिए अब वह कोच भी हैं। बेटी को सर्वश्रेष्ठ बनाने के उस लक्ष्य के लिए राखी ने पहला कदम भी रखा है। बेटी को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में उन्होंने पुरस्कार मंच पर भी पहुंचाया है। राजस्थान में अब पूरी तरह से खेल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स चल रहे हैं। बुधवार को बिकानेर में उस गेम्स के वेटलिफ्टिंग में महिलाओं के 58 किग्रा वर्ग में बंगाल की राज्यश्री हलदर ने रजत जीत लिया। वह एडमस यूनिवर्सिटी की ओर से उतरी थीं। स्नैच में राज्यश्री ने 85 किग्रा उठाए और क्लिन एंड जर्क में 110 किग्रा। कुल 195 किग्रा। सोना जीतना उनके लिए निश्चित था
लेकिन आखिरी मौके पर छोटी सी तकनीकी गलती के कारण उन्हें पछाड़ते हुए ओड़िशा की रीमा भोरे ने 197 किलोग्राम उठाकर स्वर्ण जीत लिया। बिकानेरी की बेटी के कोच के रूप में बिकानेरी की प्लेटफॉर्म पर राखी को देखा गया। गुरुवार को ही विमान से शहर लौटने पर रात में मां-बेटी दोनों ट्रेनिंग में व्यस्त हो गए थे। क्योंकि शुक्रवार को ही उन्हें एक और मुकाबले में उतरना था। राखी कह रही थीं, 'मैं कई सालों से प्रतियोगिताओं में नहीं उतर पाई। इस लिहाज से शुक्रवार का यह मुकाबला मेरे लिए काफी महत्वपूर्ण है।'
बेटी को लेकर आशावादी राखी। वह कह रही थीं, 'राज्यश्री 4-5 साल से वेटलिफ्टिंग कर रही है लेकिन उसी में वह बंगाल में अपनी श्रेणी में ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी स्थापित हो चुकी है। उम्मीद है कि मैं जो हासिल किया हूँ, उससे भी ज्यादा सफलता वह पाएगी।' मां-बेटी की जोड़ी बंगाली खेल में एक नया अध्याय गढ़ने जा रही है।