जिस दिन उनकी पहली संतान हरमनप्रीत कौर का जन्म हुआ, उसी दिन सुबह हरमंदर भुल्लर और शतबिंदर कौर ने एक अजीब फैसला लिया। गुलाबी कपड़े नहीं, वे एक लड़कों का सूट खोजने निकले— चमकीले पीले रंग का, छोटे साइज का, सामने सिला हुआ था, जिसपर लिखा था- 'गुड बैटिंग'।
हरमंदर कहते हैं, 'हम दुनिया को बताना चाहते थे कि लड़कियां लड़कों के बराबर हैं। इसलिए उसके जन्म के दिन ही उसे वह सूट पहनाकर गुरुद्वारे ले गए थे।' साथ ही वे जोड़ते हैं, 'शायद उसी सूट में भविष्यवाणी लिखी थी...'।
तीन दशक बाद, वह सूट आज इतिहास का हिस्सा है। रविवार को डीवाई पाटिल स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका को हराकर जब भारत ने महिला विश्वकप जीता, तब उस पीले सूट के शब्द जैसे पीढ़ी दर पीढ़ी गूंज उठे। हरमनप्रीत अब 36 की हैं, सिर्फ अच्छी बैटिंग ही नहीं करतीं, वे एक नए युग की कप्तान बन गई हैं।
उस दिन डुने के गांव में बिल्कुल उत्सव का माहौल था। पड़ोसी, रिश्तेदार, स्थानीय नेता, सभी गर्व बांटने आ रहे थे। घर के गेट के पास खड़ी है हरमन की पहली गाड़ी, एक साधारण अल्टो। बैठक के कमरे की दीवार जैसे खुद ही कहानी कह रही है, हरमन की तस्वीरें, कपिल देव, सचिन, सहवाग, अमिताभ के साथ। शतबिंदर ने कहा, 'बचपन में हरमन सहवाग की फैन थी। पोस्टर, तस्वीरें, ट्रॉफी की कॉपी, सब इकट्ठा करती थी। उसकी बैटिंग की नकल करती थी। रविवार को फाइनल में सचिन को उन्हें तालियां बजाते देखकर आंखों में आंसू आ गए थे।'
भुल्लर परिवार 'धन्य' मानता है कि वे मैदान में बैठकर उस पल का आनंद ले सके। जब हरमन ने कैच पकड़ा, जब पिता की गोद में कूद पड़ीं। वह तस्वीर अब हरमंदर के फोन में है। हर एक खुशी, गर्व और राहत की तस्वीर।
शतबिंदर को याद आया, 'बचपन में वह प्लास्टिक बैट या कपड़े धोने की लाठी से खेलती थी लेकिन मैच के दिन उसका पसंदीदा काम था— सभी बच्चों को एक लाइन में खड़ा करके खुद इंस्पेक्टर बनना। तभी समझ गई थी कि उसमें नेतृत्व है।'
भुल्लर अब और भी बड़े सपने देख रहे हैं। मोगा शहर एक समय तीन बार के ओलंपिक्स में स्वर्ण विजेता बलबीर सिंह सीनियर को लेकर उत्सव में डूबा था। हरमन के पिता चाहते हैं कि उनकी बेटी उस परंपरा को आगे बढ़ाए। उनका दावा है, 'सीडब्ल्यूजी का रजत उसके लिए खास है... अब वह भारत के लिए ओलंपिक्स सोना जीतना चाहती है।' भुल्लर परिवार का संदेश स्पष्ट है, 'अगर लड़कियों को बाधा न मिले, स्वतंत्रता मिले— तो उनके लिए आसमान ही सीमा है।'