शनिवार को ईडन में चाँद का मेला लग गया। भारत के लिए हाल ही में वर्ल्ड कप जीतने वाली महिला क्रिकेटर ऋचा घोष का स्वागत पश्चिम बंगाल सरकार और CAB की ओर से किया गया। ऋचा के पुरस्कारों में वित्तीय पुरस्कार, सरकारी नौकरी, बंगभूषण सम्मान और कई अन्य पुरस्कार शामिल थे।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर CAB के अध्यक्ष सौरव गांगुली तक सभी ऋचा की प्रशंसा में चार चाँद लगाने लगे लेकिन सभी का सवाल एक ही था कि ऋचा किस तरह दबाव में भी शांत दिमाग से मैच को जीत दिलाने में सफलता हासिल की। वह बड़े-बड़े छक्के किस तरह लगाती हैं ? इस पर ऋचा ने खुद बात की और अपनी सफलता का रहस्य साझा किया।
ऋचा ने बताया कि विश्व कप जीतना किसी सपने के पूरा होने जैसा था। सिलीगुड़ी लौटने पर सभी ने जिस तरह घर की बेटी का स्वागत किया था। उसका असर अभी भी बना हुआ है। विश्व कप में लगभग हर मैच में ऋचा ने टीम के लिए योगदान दिया। इस बारे में उन्होंने कहा कि नेट प्रैक्टिस के दौरान मैं टारगेट सेट करके बैटिंग करती हूँ। इतनी गेंदों में इतनी रन चाहिए, ऐसी स्थिति को ध्यान में रखकर बैटिंग करती हूँ। शायद इसी वजह से बड़े छक्के मारने की आदत बन गई है और बड़े शॉट खेलना मुझे पसंद भी है। सिर्फ यही नहीं, बड़े छक्के मारने के लिए सही गेंद का चयन करना भी महत्वपूर्ण है।
ऋचा ने आगे बताया कि दबाव में भी वह अपनी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को और बेहतर तरीके से दिखा सकती हैं। चाहे वह लीग स्तर पर दक्षिण अफ़्रीका के खिलाफ 94 रन की पारी हो या पाकिस्तान के खिलाफ 35 रन का कमियों भरा खेल, इस 22 साल की खिलाड़ी ने इसे साबित किया है।
ऋचा कहती हैं कि जितना दबाव बढ़ता है, उतना ही अच्छा खेल पाती हूं। फुर्सत के समय फिल्में देखती हूं, दोस्तों के साथ समय बिताती हूं लेकिन बड़े मैच से पहले फोन से दूर रहती हूं। इसी तरह मैं दबाव को संभाल पाती हूं। भविष्य में ऋचा से और भी ऐसे कई इनिंग्स देखने की आशा रखते हैं क्रिकेट प्रेमी।