नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देशभक्ति को 'शब्दों से परे एक भावना' बताया और कहा कि ‘वंदे मातरम्’ वह गीत है, जो उस अमूर्त भावना की एक सजीव और मूर्त अभिव्यक्ति है। उन्होंने ‘वंदे मातरम्’ गीत की रचना के 150 वर्ष पूरे होने का उल्लेख करते हुए यह बात कही। मोदी ने कहा कि 7 नवंबर से देश ‘वंदे मातरम्’ के 150वें वर्ष में प्रवेश करेगा। यह गीत 150 वर्ष पूर्व रचा गया था और 1896 में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने इसे पहली बार गाया था। हमें ‘वंदे मातरम्’ के 150वें वर्ष को अविस्मरणीय बनाना होगा। आने वाले समय में ‘वंदे मातरम्’ से जुड़े अनेक कार्यक्रम और आयोजन देशभर में होंगे।
मोदी ने ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम के 127वें संस्करण में कहा कि यह कालजयी गीत आज भी भारतीयों में देशभक्ति और एकता की भावना जगाता है। भारत का राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’, जिसका पहला शब्द ही हमारे हृदयों में भावनाओं की लहर जगा देता है। ‘वंदे मातरम्’ इस एक शब्द में कितनी ही भावनाएं, कितनी ही ऊर्जाएं समाई हुई हैं। सरल शब्दों में कहें तो यह हमें मां भारती के मातृस्नेह का अनुभव कराता है और मां भारती की संतान होने के नाते हमारे कर्तव्यों का बोध कराता है। ‘वंदे मातरम्’ का जयघोष लंबे समय से एकता के आह्वान का प्रतीक रहा है। जब कठिन समय आता है, तो ‘वंदे मातरम्’ का स्वर 140 करोड़ भारतीयों को एकता की ऊर्जा से भर देता है।
गीत की उत्पत्ति पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने कहा कि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने ‘वंदे मातरम्’ की रचना 19वीं सदी में सदियों की पराधीनता से जर्जर भारत में नई चेतना फूंकने के लिए की थी। भले ही यह 19वीं सदी में लिखा गया हो, लेकिन इसकी आत्मा भारत की उस अमर चेतना से जुड़ी है, जो हजारों वर्षों पुरानी है। मोदी ने गीत के संदेश को भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा से जोड़ते हुए कहा कि वेदों ने भारतीय सभ्यता की नींव रखी थी। बंकिमचंद्र ने ‘वंदे मातरम्’ लिखकर मातृभूमि और उसकी संतान के बीच के उस पवित्र रिश्ते को भावनाओं के ब्रह्मांड में एक मंत्र के रूप में स्थापित किया।
मालूम हो कि ‘मन की बात’ प्रधानमंत्री मोदी का मासिक रेडियो कार्यक्रम है, जिसमें वे देश के नागरिकों से महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर संवाद करते हैं। यह कार्यक्रम हर महीने के अंतिम रविवार को प्रसारित किया जाता है। यह कार्यक्रम 3 अक्टूबर 2014 को शुरू हुआ था।