स्वतंत्र राज्य लद्दाख कैसे भारत का अभिन्न अंग बना, रणनीतिक रूप से क्यों है महत्वपूर्ण?

सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद लद्दाख फिर सुर्खियों में है। ऐसे में यह जानना प्रासंगिक है कि यह क्षेत्र भारत का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक क्षेत्र क्यों है!

By अमर्त्य लाहिड़ी, Posted by डॉ.अभिज्ञात

Sep 28, 2025 16:48 IST

लेहः लद्दाखी शांत स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। लेकिन अब राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर लद्दाख विरोध की आग में जल रहा है। लद्दाख के इस विरोध के प्रमुख चेहरों में से एक सोनम वांगचुक को गिरफ्तार किया गया है। यह आक्रोश अगस्त 2019 में शुरू हुआ था।

केंद्र ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करके जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 पारित किया था। इसके परिणामस्वरूप जम्मू और कश्मीर राज्य दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित हो गया था: जम्मू और कश्मीर, जिसे बाद में विधानसभा मिली, और लद्दाख, जिसकी कोई विधानसभा नहीं है। 1834 में लद्दाख जम्मू और कश्मीर राज्य में शामिल हो गया था। इससे पहले यह एक स्वतंत्र राज्य था। तिब्बत के साथ इसका गहरा संबंध था। वहां से लद्दाख कैसे स्वतंत्र भारत का अभिन्न अंग बन गया?

नई दिल्ली लद्दाख को रणनीतिक रूप से इतना महत्वपूर्ण क्यों मानती है?: 1819 में सिख राजाओं ने कश्मीर पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद ही महाराजा रणजीत सिंह की नजर लद्दाख पर पड़ी। इससे पहले, भूटान और सिक्किम की तरह लद्दाख भी हिमालय की गोद में एक स्वतंत्र राज्य था। 1834 में सिख शासित जम्मू और कश्मीर के डोगरा सामंत, गुलाब सिंह ने लद्दाख को जीतकर इसे सिख साम्राज्य का हिस्सा बना लिया था। 1845-46 के प्रथम एंग्लो-सिख युद्ध के बाद सिख साम्राज्य से अलग होकर लद्दाख सहित जम्मू और कश्मीर राज्य ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया था। जम्मू और कश्मीर राज्य को अंग्रेजों ने एक 'बफर जोन' के रूप में तैयार किया था। यहां वे रूसियों से मिल सकते थे। स्वतंत्रता के बाद जम्मू और कश्मीर के हिस्से के रूप में ही लद्दाख भी स्वतंत्र भारत का हिस्सा बन गया था।

लद्दाख रणनीतिक, आर्थिक और रक्षा की दृष्टि से भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है: ऐतिहासिक काल से ही लद्दाख मध्य एशिया और कश्मीर के बीच एक व्यापार केंद्र के रूप में विकसित हुआ था। जैसे लद्दाख के माध्यम से ही तिब्बती ऊन कश्मीर आता था। उसी समय, काराकोरम दर्रे को पार करके चीन के यारकंद और काशगर से विभिन्न वस्तुएं तुर्की जाती थीं। इतिहासकार जॉन ब्रे के अनुसार, यह एक बहुत समृद्ध व्यापार मार्ग था। 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद 1959 में तिब्बती विद्रोह हुआ और दलाई लामा ने भारत में राजनीतिक शरण ली। तब से ही इस क्षेत्र पर चीन की नजर है। 2013 तक, लद्दाख में भारत का कोई सैन्य बुनियादी ढांचा नहीं था। उसके बाद से इस क्षेत्र में भारत ने कई बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाएं शुरू की हैं। 2015 से, लद्दाख भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र बन गया है।

भारत-चीन के बीच खूनी झड़प: जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच खूनी झड़प हुई थी। इसमें 20 भारतीय सैनिक और अनिश्चित संख्या में चीनी सैनिक मारे गए थे।

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