नयी दिल्लीः'71 के मुक्ति युद्ध के दौरान पाकिस्तान की सेना के नृशंस नरसंहार-'ऑपरेशन सर्चलाइट' का मुद्दा उठाकर इस बार विश्व मंच पर भारत ने पाकिस्तान को धो दिया। मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में महिला, शांति और सुरक्षा विषय पर चर्चा थी। वहां पाकिस्तान की प्रतिनिधि साइमा सलीम ने कश्मीरी महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाए और दावा किया कि कश्मीर की महिलाएं 'कष्ट' में हैं।
उन्होंने कई आरोप लगाए लेकिन वे आसानी से भूल पाकिस्तान का इतिहास भूल गयीं। इसके बाद भारत के प्रतिनिधि परवाथानेनी हरीश ने आंकड़ों के साथ पाकिस्तान को याद दिलाया कि 1971 में 'ऑपरेशन सर्चलाइट' के दौरान किस तरह योजनाबद्ध तरीके से लगभग 4 लाख महिलाओं का सामूहिक बलात्कार और हत्या की गई थी।
पी हरीश ने कहा कि हर बार विश्व मंच पर आकर पाकिस्तान अपने तरीके से भारत के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर की महिलाओं की सुरक्षा पर तरह-तरह की बातें करता है और मगरमच्छ के आंसू बहाता है। अधिकारों की बात करता है लेकिन, अपने देश में बमबारी की बात भूल जाता है। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले महीने पाकिस्तानी सेना ने किस तरह खैबर पख्तूनख्वा में बमबारी की थी। उस हिंसा में महिला, बच्चे सहित 30 लोगों की मौत हुई थी इसलिए, जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, हमेशा रहेगा। किसी के अतिरंजित बयान का यहां कोई असर नहीं होगा।
ऑपरेशन सर्चलाइट का जिक्र यह दिलाता है कि ऑपरेशन सर्चलाइट कितना भयावह था। 1971 साल का दौर था। पूर्वी पाकिस्तान किसी भी तरह पश्चिम पाकिस्तान के साथ रहने को तैयार नहीं था। शेख मुजीबुर रहमान ने तब तक पूर्वी पाकिस्तान का नया नाम भी सोच लिया था-बांग्लादेश।
बंगालियों के उस राष्ट्रवादी आंदोलन को कुचलने के लिए पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू किया। हजारों बंगालियों की हत्या की गयी। महिलाओं पर अत्याचार सिहरन पैदा करने वाला था। तत्कालीन पाकिस्तानी सेना अधिकारी खादिम हुसैन राजा की सेना ने बंगाली महिलाओं का सामूहिक बलात्कार करके नृशंस तरीके से हत्या की थी।
संयुक्त राष्ट्र में पी हरीश ने कहा, 'पाकिस्तान वह देश है, जिसने 1971 में ऑपरेशन सर्चलाइट किया था। योजनाबद्ध तरीके से देश की 400,000 महिलाओं का नरसंहारपरक सामूहिक बलात्कार किया गया था। यह उनके अपने देश की सेना ने किया था।'