फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। मंगलवार को FSSAI ने एक दिशानिर्देश जारी किया। उन्होंने कहा कि अब से कोई भी निर्माता या ब्रांड अपने उत्पाद पर ORS (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट) लेबल का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। अगर उत्पाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अनुमोदित है तभी वे ORS का इस्तेमाल कर सकेंगे।
ओआरएस क्या है?
यूनिसेफ (संयुक्त राष्ट्र बाल कोष) के अनुसार पानी में नमक और चीनी का मिश्रण तैयार करके पिया जाता है। उसे ही ओआरएस कहते हैं। दस्त, लू लगने या अन्य शारीरिक बीमारियों के कारण अक्सर शरीर से अतिरिक्त पानी निकल जाता है। ऐसे में शरीर निर्जलित हो जाता है। ऐसे में शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए ओआरएस का सेवन किया जाता है।
अमेरिकी स्वास्थ्य वेबसाइट हेल्थलाइन चेतावनी देती है कि ओआरएस का सेवन आमतौर पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए। इसका गलत इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है।
पुराने दिशानिर्देशों में क्या था?
इससे पहले 14 जुलाई 2022 और 2 फरवरी 2024 के केंद्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार, ब्रांड नाम के पहले या बाद में ORS शब्द का इस्तेमाल करने की अनुमति थी। अब तक कई ब्रांड विभिन्न फलों के रस, गैर-कार्बोनेटेड पेय और रेडी-टू-ड्रिंक पेय सहित कई उत्पादों पर ORS शब्द का इस्तेमाल करते थे। हालांकि वे इस शब्द का इस्तेमाल तभी कर सकते थे जब उत्पाद पर यह लिखा हो कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित ORS फॉर्मूला नहीं है लेकिन अब इन पुराने दिशानिर्देशों को निरस्त कर दिया गया है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवरंजनी संतोष ने सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार के इस कदम की सराहना की। उन्होंने लिखा, "आज से कोई भी व्यक्ति अपने लेबल पर ओआरएस का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा जब तक कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुमोदित फॉर्मूला न हो। कोई इसे बेच भी नहीं पाएगा।"