नक्सल विरोधी अभियानों में आंध्र व छत्तीसगढ़ में 7 उग्रवादी ढेर, बस्तर में आत्मसमर्पित माओवादियों के लिए ‘कैफे पंडुम’

नक्सल प्रभावित इलाकों में आत्मसमर्पण कर चुके लोगों के पुनर्वास के लिए सरकार प्रयासों को भी गति दे रही है।

By डॉ. अभिज्ञात

Nov 18, 2025 12:54 IST

अमरावती/सुकमा: देश में चल रहे नक्सल विरोधी अभियानों के तहत मंगलवार को आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों के साथ हुई अलग-अलग मुठभेड़ों में कुल सात माओवादियों के मारे जाने की खबर है। आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामराजू जिले के मारेडुमिल्लि क्षेत्र में मंगलवार सुबह हुई मुठभेड़ में छह माओवादी मारे गए। जिले के पुलिस अधीक्षक अमित बर्डार के अनुसार यह कार्रवाई सुबह 6.30 बजे से 7 बजे के बीच जंगल क्षेत्र में हुई। यह विभिन्न पुलिस इकाइयों का संयुक्त अभियान था।

वहीं छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में मंगलवार सुबह एर्राबोर थाना क्षेत्र के जंगलों में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में एक नक्सली ढेर हुआ। पुलिस के अनुसार, मुठभेड़ उस समय शुरू हुई जब इनपुट के आधार पर नक्सली गतिविधि वाले इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा था। घटनास्थल से एक नक्सली का शव बरामद किया गया है, जबकि रुक-रुक कर फायरिंग जारी थी। पुलिस ने बताया कि सुकमा में रविवार को भी तीन नक्सली मारे गए थे। इस साल छत्तीसगढ़ में अब तक कुल 263 नक्सलियों को विभिन्न मुठभेड़ों में ढेर किया जा चुका है, जिनमें से 234 बस्तर संभाग के सात जिलों में, 27 गरियाबंद में और दो मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में मारे गए।

इसी बीच, नक्सल प्रभावित इलाकों में आत्मसमर्पण कर चुके लोगों के पुनर्वास के लिए सरकार प्रयासों को भी गति दे रही है। बस्तर के जगदलपुर में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ‘कैफे पंडुम’ का उद्घाटन किया, जिसे आत्मसमर्पित पूर्व माओवादी संचालित कर रहे हैं। पूर्व नक्सलियों ने भी कैफे पंडुम में नई शुरुआत को लेकर खुशी जताई। जनवरी 2025 में आत्मसमर्पण करने वाली फूलमती ने बताया कि कैफे में रोजगार मिलने से उनकी जिंदगी बदल गई है और अब वे अपने परिवार की देखभाल कर पा रही हैं। बस्तर आईजी पी. सुंदरराजन ने कहा कि हिंसा का रास्ता छोड़ चुके माओवादी अब बड़ी संख्या में पुनर्वास के लिए आगे आ रहे हैं। उन्हें होटल प्रबंधन और हॉस्पिटैलिटी सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण देकर सामान्य जीवन की ओर लौटने में मदद की जा रही है। सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई और सरकार के पुनर्वास प्रयासों के बीच, बस्तर और आसपास के क्षेत्रों में नक्सल गतिविधियों में धीरे-धीरे गिरावट देखी जा रही है, जबकि बड़ी संख्या में नक्सली मुख्यधारा में शामिल होकर नई जिंदगी की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।

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