नयी दिल्लीः एक निजी चैनल पर लाइव कार्यक्रम होता था, जिसमें दर्शक फोन पर अपने मन की बात कह सकते थे। विशेषज्ञों से सलाह ले सकते थे। वहीं एक दर्शक ने फोन पर अपने मन की बात बताई थी। उन्होंने कहा था, 'मुझे किसी से बात करना अच्छा नहीं लगता। कोई मेरी बात समझ भी नहीं पाता।'
चैनल के स्टूडियो से मनोवैज्ञानिक ने सलाह दी थी, 'आप नियमित रूप से डायरी लिखें। जो बात आप किसी से नहीं कह पाएंगे, देखेंगे कि उसे सफेद कागज के सामने बिना किसी हिचक के कह पा रहे हैं।' उस व्यक्ति ने इस सलाह को माना या नहीं, यह पता नहीं, लेकिन छात्रों का मन खराब होने, अवसाद और निराशा दूर करने के लिए देश के स्कूलों को केंद्र ने लगभग ऐसा ही एक निर्देश दिया है। जिसमें कहा गया है कि स्कूल छात्रों को डायरी लिखना सिखाएं।
4 से 10 अक्टूबर तक देशभर में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सप्ताह मनाया जाएगा। इससे पहले पश्चिम बंगाल सहित सभी राज्यों के शिक्षा सचिवों को केंद्र द्वारा भेजे गए निर्देश में कई कदम उठाने की बात कही गई है। उनमें से एक प्रमुख है डायरी लिखने की आदत वापस लाना।
कई शिक्षक बता रहे हैं कि कोरोना के बाद के समय में बच्चों की लिखने और पढ़ने की दोनों आदतें बहुत कम हो गई हैं। एक कारण मोबाइल तो है ही। विचार अच्छा होने के बावजूद कैसे छात्रों को प्रोत्साहित किया जा सकता है, इसको लेकर कई शिक्षक चिंतित हैं। हालांकि साहित्यकार शीर्षेंदु मुखोपाध्याय कह रहे हैं, 'कोशिश तो करनी ही होगी। सफेद कागज के सामने लिखने बैठने से अपने आप से सामने बैठा जा सकता है। आसपास की दुनिया के बारे में मैं क्या सोच रहा हूं, वह भी लिखा जा सकता है। यह अभ्यास करने से छात्रों की सोच-विचार का दायरा बढ़ेगा। उन्हें कई तरह के विचार मिलेंगे।'
केंद्र की सलाह है कि पूरे सप्ताह छात्र डायरी लिखेंगे। फिर सप्ताहांत में अपनी पिछली लिखी हुई बातें पढ़ें और पूरा सप्ताह कैसा बीता, इसका विश्लेषण करें। राममोहन मिशन स्कूल के प्रिंसिपल सुजय बिश्वास का कहना है, 'छात्रों को प्रोफेसर शंकु जैसी कुछ कहानियों की किताबें पढ़ानी होंगी। जहां कहानी ही डायरी के रूप में लिखी गई है। ये पढ़ने से उनमें भी डायरी लिखने की रुचि पैदा होगी।'
निर्देश में एक कृतज्ञता दीवार की भी बात की गई है। कहा गया है कि अगर कोई छात्र अच्छे काम के लिए मान्यता पाता है, तो उस बारे में उस दीवार पर कुछ पोस्टर या लेख लगाए जा सकते हैं। साथ ही, कक्षा में अच्छा व्यवहार करने वाले छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए भी वहां उनके बारे में लिखा जा सकता है।
अभिनव भारती के प्रिंसिपल श्रावणी सामंत कह रही हैं, 'बहुत अच्छी सलाह है। इससे छात्र प्रोत्साहित होंगे। रोल मॉडल भी मिल सकते हैं। दीवार पर अपना नाम देखने की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी रहेगी।'
अब देखना है कि स्कूल इन निर्देशों को कितना लागू करते हैं।