श्योपुरः बाघ–शेर–हाथी की सवारी तो बहुत हो चुकी है और होगी। अब समय है चीता देखने का? वीजा खर्च, महंगे फ्लाइट किराए को भूल जाइए क्योंकि मुक्त जंगल में चीता देखने के लिए अब अफ्रीका जाने की जरूरत नहीं है। हेमंत–शीत में क्रूगर या मासाई मारा या सेरेन्गेटी नहीं, आप मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता सफारी करने जा सकते हैं। तीन साल की प्रतीक्षा के बाद 1 अक्टूबर से वहां चीता सफारी शुरू हो गई है।
केवल नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए हुए चीते ही नहीं, बल्कि किस्मत अच्छी रही तो लगभग आठ दशक बाद भारत में जन्मे चीते के झुण्डों को भी देखा जा सकेगा। वन अधिकारी को उम्मीद है कि देश की पहली चीता सफारी चालू पर्यटन मौसम से ही इलाके की पर्यटन अर्थव्यवस्था को बदल देगी।
17 सितंबर 2022 को अफ्रीका से पहली बार चीतों को कूनो लाया गया। उसके बाद पिछले तीन वर्षों में चीता परियोजना ने कई उतार-चढ़ाव देखे। सब कुछ पार करने के बाद वर्तमान में सिर्फ कूनो में भारत में जन्मे 16 चीतों को ही रखा गया है, कुल 24 चीते हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश के गांधी सागर में चीतों का दूसरा आवास है, जहां 3 चीते हैं। चीतों का तीसरा आवास नवरदेही राष्ट्रीय उद्यान में बनाया जा रहा है। हालांकि पर्यटकों के लिए सफारी का अवसर फिलहाल सिर्फ कूनो में ही मिलेगा और यह कम तो नहीं है!
यदि रिकॉर्ड बुक खोली जाए तो देखा जाएगा कि भारत में खुले जंगल में आखिरी बार चीते 1952 में देखे गये थे। उस समय इस देश में जंगल सफारी की अवधारणा भी नहीं थी। इस दृष्टि से देखें तो स्वतंत्र भारत में पहली बार चिड़ियाघर के बाहर किसी खुले जंगल में जाकर चीता देखने का अवसर पर्यटकों को मिलेगा।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जंगल के वह तीन ज़ोन जिन्हें सफारी के लिए चुना गया है, वहां जाने के तीन रास्ते हैं। टिकटौली गेट, अहेरा गेट और पीपलबावड़ी गेट। इस पूरे क्षेत्र में कम से कम 15 चीते घूम रहे हैं। पिछले दो दिनों में पर्यटकों को चीते देखने का अनुभव भी हुआ है। उन्होंने वो वीडियो कूनो के वन अधिकारियों के साथ साझा किया है। सफारी गाड़ियों के मामले में सख्त नियम नहीं हैं। केवल टिकटौली गेट से प्रवेश के मामले में जीपसी के अलावा कोई अन्य वाहन नहीं चलेगा। लेकिन बाकी दो प्रवेश बिंदुओं से पर्यटक अपनी निजी चारपहिया गाड़ियों में भी चीते की सफारी कर सकते हैं। यह दक्षिण अफ़्रीका के क्रूगर नेशनल पार्क या पिलानेसबर्ग नेशनल पार्क में की जाने जैसी व्यवस्था है।
कूनो में अपनी निजी गाड़ी के लिए केवल वन विभाग के गाइड को साथ रखना आवश्यक है। इस प्रकार गाइड का खर्चा और राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश शुल्क देकर आपका चीते की दुनिया में स्वागत है। केवल यह ध्यान रखना होगा कि सरकारी वेबसाइट से बुकिंग करने पर ही सरकारी दर मिलेगी। निजी रास्ते से बुकिंग करने पर होटल की पिक-एंड-ड्रॉप के खर्चे में थोड़ा इजाफा होगा।
कूनो की तरफ से चीता सफारी के लिए जो कैलेंडर तैयार किया गया है, उसमें फिलहाल दिन में दो सफारी के अवसर हैं। सुबह साढ़े 6 बजे से मॉर्निंग सफारी और दोपहर तीन बजे से इवनिंग सफारी- दोनों ही क्षेत्रों में घूमने का समय दो से तीन घंटे है। कूनो के जीप चालक आदर्श गुप्ता के अनुसार, ‘3 अक्टूबर को पहली बार चीता देखा गया। पर्यटकों ने वीडियो बनाए। हमारे पास भी पिछले कुछ दिनों में सफारी के लिए कई कॉल आए हैं। स्टींग अच्छी होगी तो पर्यटक भी बढ़ेंगे।'
हालांकि शुरू से ही कूनो में खुला पर्यटन नहीं हो पा रहा है। फिलहाल सफारी की जीपों की संख्या 6–7 है। जंगल के अंदर उनके यात्रा मार्ग और गति तय की गई है। इसके बाहर जाने पर भारी जुर्माना निश्चित है। निजी कार लेकर जाने वाले पर्यटकों को भी निर्धारित मार्ग पर किसी भी तरह का सिंगल यूज़ प्लास्टिक बिना घूमना होगा। भारत की जमीन पर पहली बार मुक्त जंगल में चीता देखने के लिए इस नियम का पालन आवश्यक होगा।