नयी दिल्लीः किसी मामले में किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के बाद भी कई मामलों में पुलिस गिरफ्तारी का कारण नहीं बताती गिरफ्तार व्यक्ति को। ऐसी शिकायतें आती रहती हैं। इस संबंध में विभिन्न अदालतों में कई मामले हुए हैं। अब ऐसे ही एक मामले में पुलिस को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश अगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने निर्देश दिया है कि अब से गिरफ्तारी के दो घंटे के भीतर गिरफ्तार व्यक्ति को जिस भाषा में वह समझ सकता है, उस भाषा में लिखित रूप से गिरफ्तारी का कारण बताना होगा।
साथ ही शीर्ष अदालत का निर्देश है कि किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद अदालत के सामने पेश करने के कम से कम दो घंटे पहले कारण नहीं बताया गया तो वह गिरफ्तारी गैरकानूनी मानी जाएगी। केवल पीएमएलए या यूएपीए धारा में ही नहीं, पूर्व भारतीय दंड संहिता और भारतीय न्याय संहिता की किसी भी धारा में गिरफ्तारी के मामले में भी यही निर्देश लागू होगा।
शीर्ष अदालत ने मुंबई के एक 'हिट एंड रन' मामले के कारण गुरुवार को यह निर्देश दिया। यह निर्देश देने के कारण की व्याख्या करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अभियुक्त को गिरफ्तार करने पर यदि उसका कारण गिरफ्तार व्यक्ति को नहीं बताया जाता तो यह उसके मौलिक अधिकार के हनन के समान है। यदि किसी मामले में गिरफ्तार करने वाला अधिकारी गिरफ्तारी के समय लिखित रूप से बताने की स्थिति में नहीं है तो गिरफ्तार व्यक्ति को उसी समय मौखिक रूप से कारण बताना होगा।