एक हफ्ते की छापेमारी के बाद स्वयंभू धार्मिक गुरु स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती को आखिरकार रविवार सुबह उत्तर प्रदेश के आगरा से गिरफ्तार कर लिया गया। कुछ दिन पहले ही दिल्ली स्थित श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडियन मैनेजमेंट-रिसर्च के निदेशक रहे इस बाबाजी पर संस्थान की 17 से ज्यादा छात्राओं ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इसके अलावा बाबाजी पर धन के गबन का भी आरोप है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार यौन उत्पीड़न का आरोपी स्वयंभू धर्मगुरु पिछले सात दिनों से बड़ी चालाकी से पुलिस को चकमा दे रहा था। इन कुछ दिनों में उसने 15 से ज़्यादा बार अपना ठिकाना बदला था।
वह चुनिंदा तौर पर प्रमुख धार्मिक स्थलों के पास के होटलों में रुकता था क्योंकि उसे पता था कि इन इलाकों के होटलों पर पुलिस की कम नजर रहती है।
गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने न सिर्फ अपना पता बदला बल्कि अपने साथियों के जरिए प्रधानमंत्री कार्यालय से संपर्क होने का झूठा दावा भी किया। नतीजतन, बाबाजी को कई होटल मालिकों से आसानी से मदद मिल गई।
स्वयंभू धार्मिक नेता पर लगभग 20 करोड़ रुपये के गबन का भी आरोप है। उन्होंने फर्जी पासपोर्ट के जरिए देश से भागने की भी कोशिश की थी। दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था। इस बीच मठ प्रशासन ने उन्हें शारदा संस्थान के निदेशक पद से भी बर्खास्त कर दिया है। उन्होंने वित्तीय धोखाधड़ी के एक मामले में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया था लेकिन वह भी खारिज हो गया।