एक शीर्ष भारतीय खुफिया सूत्र ने एक भारतीय समाचार एजेंसी के हवाले से बताया कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक विशेष कार्यालय खोला है। भारतीय खुफिया अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तान और बांग्लादेश का यह कदम "चिंताजनक" है। यह दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा और खुफिया संबंधों का संकेत है।
यह कोई रहस्य नहीं है कि 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग तेजी से बढ़ रहा है। खुफिया अधिकारियों का कहना है कि ढाका में आईएसआई शाखा की स्थापना पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी और बांग्लादेश सेना के बीच बढ़ते सहयोग को औपचारिक रूप देती है।
ढाका में आईएसआई
पाकिस्तान की ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा ने हाल ही में ढाका का दौरा किया। उन्होंने बांग्लादेश के शीर्ष सैन्य और खुफिया अधिकारियों के साथ बैठक की। इसके बाद आईएसआई की यह शाखा स्थापित की गई।
सूत्रों के अनुसार, दोनों देश बंगाल की खाड़ी और भारत की पूर्वी सीमा से लगे हवाई क्षेत्र की निगरानी के लिए एक संयुक्त खुफिया साझाकरण प्रणाली बनाने पर सहमत हुए हैं। इस समझौते के तहत पाकिस्तान को ढाका स्थित अपने उच्चायोग के अंदर आईएसआई की एक शाखा खोलने की अनुमति दी गई है। यहां एक ब्रिगेडियर सहित कई खुफिया कर्मी तैनात किए जाएंगे।
बांग्लादेश को रक्षा सहायता?
बदले में पाकिस्तान ने बांग्लादेश को व्यापक सैन्य और तकनीकी सहायता, संयुक्त प्रशिक्षण और जेएफ-17 थंडर लड़ाकू विमानों और फतेह-श्रृंखला रॉकेट प्रणालियों जैसे सैन्य उपकरणों की आपूर्ति की पेशकश की है।
भारत का सिरदर्द बढ़ गया है
यह कहना भी जरूरी नहीं है कि भारत की संवेदनशील पूर्वी सीमा के इतने करीब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों की मौजूदगी नई दिल्ली के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। आतंकवाद विश्लेषकों के अनुसार, इस कदम से क्षेत्र में जासूसी, आतंकवादी गतिविधियों और आतंकवाद के वित्तपोषण का खतरा बढ़ जाएगा। इसके अलावा बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में पाकिस्तान की सैन्य उपस्थिति भी भारत के सुरक्षा ढांचे के लिए खतरा है।