जिनेवाः अमेरिका की मध्यस्थता से अब तक कोई लाभ नहीं हुआ। हर बार यूक्रेन और रूस के बीच शांति वार्ता विफल हुई है। इस बार दोनों पक्षों के बीच युद्ध रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 28-सूत्रीय मसौदा योजना कीव भेजी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि यह 28-सूत्रीय योजना उनका अंतिम फैसला नहीं है। इसमें बातचीत की गुंजाइश मौजूद है।
यूरोप, कनाडा और जापान के नेता सहित यूक्रेन के पश्चिमी समर्थकों का कहना है कि ट्रंप की 28-सूत्रीय योजना में कुछ अच्छी बातें जरूर हैं, लेकिन दो मुद्दों पर उनकी गंभीर आपत्तियाँ हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि यूक्रेन को अपने कुछ क्षेत्र दोनबास, दोनेत्स्क, लुहान्स्क सहित आदि रूस को सौंपने होंगे। लेकिन यूक्रेन इस शर्त को मानने से साफ इनकार कर चुका है। यूक्रेन की सैन्य शक्ति कम करने का भी प्रस्ताव दिया गया है। पश्चिमी समर्थकों का मानना है कि इससे भविष्य में यूक्रेन फिर से हमले के जोखिम में पड़ सकता है। इतना ही नहीं, प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि यूक्रेन भविष्य में नाटो सैन्य गठबंधन में शामिल नहीं हो पाएगा।
इधर, यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि अमेरिका उन पर इस योजना को स्वीकार करने का दबाव डाल रहा है। यूक्रेन अपने इतिहास के सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है। वह इस मुद्दे पर बातचीत करेंगे, लेकिन साथ ही देश की गरिमा और स्वतंत्रता को बनाए रखने की पूरी कोशिश करेंगे। इसी सिलसिले में रविवार को जिनेवा में एक आपात बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और यूक्रेन के उच्च-स्तरीय अधिकारी शामिल होंगे। यूक्रेन को इस महीने की 27 तारीख तक अपना निर्णय बताना होगा।