वाशिंगटनःH1B वीज़ा को लेकर और क्या-क्या किया जाए जिससे चैन मिले, शायद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प खुद भी यह तय नहीं कर पा रहे। वीज़ा फ़ीस बढ़ाने पर ही नहीं रुके, अब आवेदन की जांच-पड़ताल प्रक्रिया को और कठोर कर दिया है। रॉयटर्स ने बताया है कि इस संबंध में नई गाइडलाइन्स अमेरिकी प्रशासन ने जारी की हैं। अब H1B वीज़ा आवेदकों की LinkedIn प्रोफ़ाइल और रिज़्यूमे को बारीकी से खंगाला जाएगा।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी विदेश विभाग (ने एक मेमो जारी किया है। इसमें साफ कहा गया है कि जिन लोगों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर सेंसरशिप लागू है, उनके आवेदन खारिज कर दिए जाएंगे। अर्थात अगर कोई व्यक्ति अमेरिका के नियम-कायदों के विरोध में किसी तरह की राय व्यक्त करने के रास्ते पर चला हो तो उसका आवेदन तत्काल रद्द किया जा सकता है। पहले भी इस विषय में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा था कि अगर कोई अमेरिका की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल उठाता है, तो उसे वीज़ा प्रतिबंध का सामना करना पड़ेगा। तब विभिन्न संगठनों को भी आगाह किया गया था।
यह भी कहा गया है कि इस जांच का उद्देश्य यह पता लगाना है कि आवेदक कहीं गलत सूचनाएं फैलाने, कंटेंट मॉडरेशन या दुष्प्रचार रिसर्च जैसी गतिविधियों से जुड़ा तो नहीं। ऑनलाइन सुरक्षा से जुड़े पहलुओं को भी देखा जाएगा। यह संदेश स्पष्ट कर दिया गया है कि आवेदक का पूरा इतिहास खंगाला जाएगा। सिर्फ आवेदक ही नहीं, उसके परिवार की भाषा-बोली और गतिविधियों का भी मूल्यांकन किया जाएगा, उसके बाद ही वीज़ा पर विचार होगा।
H1B वीज़ा अमेरिकी टेक कंपनियों में प्रवेश का प्रमुख साधन है। अमेरिकी नियोक्ता विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस वीज़ा को पहला और सबसे अहम मानदंड मानते हैं। ऐसे में इस वीज़ा प्रक्रिया की कड़ाई बढ़ने से भारत के IT सेक्टर पर दबाव बढ़ सकता है।