बीजिंगः बीजिंग की निजी अंतरिक्ष कंपनी लैंडस्पेस के झूचे-3 (Zhuque-3) रॉकेट को अपने पहले अंतरिक्ष मिशन में आंशिक सफलता मिली। पृथ्वी की निम्न कक्षा में एक डमी पेलोड स्थापित करने में वह सफल हुआ, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य था-स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट की तरह झूचे-3 को सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर उतारना। कंपनी ने दावा किया था कि यह रॉकेट ‘पुन: उपयोग योग्य’ है लेकिन अंततः रॉकेट पृथ्वी पर लौटने में विफल रहा और बीच आकाश में ही विस्फोट हो गया।
बुधवार को ‘जिउक्वान सैटेलाइट लॉन्च सेंटर’ से 66 मीटर लंबे इस रॉकेट को प्रक्षेपित किया गया था। इसका इंजन मीथेन-ईंधन पर चलता है। डमी पेलोड को सफलतापूर्वक स्थापित करने के बाद स्टेनलेस स्टील से बना झूचे-3 का बूस्टर गोबी मरुस्थल के पास लैंडिंग की कोशिश कर रहा था। लेकिन उतरने के दौरान बूस्टर में आग लग गई और वह मिनक़िन काउंटी में गिरकर टूट गया। प्रक्षेपण के लगभग 8.5 मिनट बाद यह दुर्घटना हुई।
चीन ने पहली बार किसी ऑर्बिटल-क्लास बूस्टर को पुन: प्राप्त करने की कोशिश की थी। इसके जरिए वह ‘पुनर्व्यवहार योग्य रॉकेट तकनीक’ में अमेरिका के एकाधिकार को चुनौती देना चाहता था। लेकिन आज के परीक्षण के नतीजे बताते हैं कि अंतरिक्ष अभियानों में चीन अभी अमेरिका की बराबरी करने की स्थिति में नहीं पहुंचा है। हालांकि बूस्टर को पुन: प्राप्त करने में विफलता हाथ लगी, लेकिन रॉकेट ने डमी पेलोड को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने में सफलता प्राप्त की। भविष्य के वाणिज्यिक अंतरिक्ष अभियानों के लिए लैंडस्पेस के झूचे-3 रॉकेट की डिजाइन को मंजूरी दी गई है। साथ ही रॉकेट के मलबे का विश्लेषण किया जा रहा है।
लैंडस्पेस ने कहा है कि पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया में क्या कमी रही, इसे जल्द ही पहचानकर ठीक किया जाएगा। उनका लक्ष्य है कि बूस्टरों को इस तरह बनाया जाए कि वे कम से कम 20 अंतरिक्ष मिशनों में पुन: उपयोग किए जा सकें। पुन: उपयोग योग्य तकनीक में सफलता मिलने से अंतरिक्ष अभियानों की लागत कम की जा सकती है।